कहीं आप भी तो नहीं करते हैं इन दवाओं का इस्तेमाल, तो हो जाइए सावधान

Sunday, Nov 12, 2017 - 01:16 AM (IST)

सोलन: प्रदेश में दिल की बीमारी, एंटी बायोटिक, बुखार, दर्द, जलने व गैस्टिक की 10 दवाओं के सैंपल फेल हो गए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार 10 में से 5 बी.बी.एन. औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित दवा कंपनियों के ही सैंपल फेल हुए हैं। केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सी.डी.एस.सी.ओ.) ने देशभर में मई माह से ड्रग अलर्ट जारी कर दिया है। देशभर में 20 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। ये 5 दवाएं प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बी.बी.एन. में बन रही हैं। इसके अलावा पांवटा साहिब की 2, कालाअंब, कांगड़ा की संसारपुर टैरस व ऊना के गगरेट की 1-1 कंपनी की दवा का सैंपल फेल हुआ है। सी.डी.एस.सी.ओ. ने इन दवाओं की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। कंपनियों को अब इन दवाओं के बैच देशभर के बाजारों से वापस मंगवाने होंगे।

इन दवाओं के सैंपल हुए फेल
प्रदेश में जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें से अधिकांश दवाएं दिल की बीमारी, एंटी बायोटिक, बुखार, उल्टी व गैस्टिक की हैं। आम आदमी इन दवाओं को अक्सर इस्तेमाल करता रहता है। सी.डी.एस.सी.ओ. द्वारा देश में हर महीने ड्रग अलर्ट जारी किया जाता है। सी.डी.एस.सी.ओ. द्वारा पिछले 6 महीने में जारी किए ड्रग अलर्ट के अनुसार देशभर में करीब 183 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें से 65 दवाओं का उत्पादन हिमाचल में हुआ है। या यूं कहें कि देश में जिन दवाओं के सैंपल फेल हो रहे हैं, उनमें से हर तीसरी दवा हिमाचल की है। इससे स्पष्ट है कि हिमाचल के फार्मा उद्योग नियमों को ताक पर रखकर दवाओं का उत्पादन कर रहे हैं। इसके कारण स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली भी कटघरे में आ गई है। 

दवा उत्पादन का हब है हिमाचल
पिछले 6 वर्षों में हर माह औसतन 11 दवाओं के सैंपल फेल हो रहे हैं। देश में हिमाचल को दवा उत्पादन का हब माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से हिमाचल में बन रहीं दवाओं के सैंपल फेल हो रहे हैं, उससे देश में हिमाचल की छवि भी धूमिल हो रही है। फार्मा उद्योग दवा उत्पादन में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रख रहे हैं। यही कारण है कि सी.डी.एस.सी.ओ. के हर महीने जारी होने वाले ड्रग बुलेटिन में प्रदेश के किसी न किसी फार्मा उद्योग की दवाओं के सैंपल होते हैं। 

इन फार्मा उद्योगों के सैंपल हुए फेल
जानकारी के अनुसार मैसर्ज एनरोज फार्मा बरोटीवाला की सीमोक्स 250 डी.टी. का बैच नं. ए.टी. 7094, मैसर्ज एफ्फी पेरेंटीरल्स बद्दी की एल.सी. टापाम 10 का बैच नं. ए.पी. 7076, मैसर्ज विंग्ज बायोटैक बद्दी की पैंटोप्रेजोल का बैच नं. पी.आर.जे.टी.1000, मैसर्ज टैरेस फार्मास्यूटिकल की आॢपक 20 का बैच नं. एस.टी.एन. 170055, मैसर्ज तिरुपति मैडीकेयर पांवटा साहिब की इसपघुला हस्क का बैच नं. टी.पी.सी. 0195, मैसर्ज होरिजॉन बायोस्यूटिकल कालाअंब की डायक्लोफैंस का बैच नं. टी.एल. 16085, मैसर्ज बोफ्फिन बायोटैक पांवटा साहिब की रेबप्रैजोल का बैच नं. बी.टी. 86, मैसर्ज मैडीपोल फार्मास्यूटिकल बद्दी की टीजानीडाइन का बैच नं. टी.टी. 030, एच.एल. हैल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड गगरेट की एसक्लोफैंस का बैच नं. एन.टी.1604 तथा मैसर्ज सकोट इंनटास फार्मास्यूटिकल की सिल्वर सल्फाडायजिन का बैच नम्बर एस. 7116 का सैंपल फेल हो गया है। 

दवा उद्योगों को जारी किए नोटिस 
राज्य दवा नियंत्रक बद्दी नवनीत मारवाह ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में मौजूद उन सभी दवा उद्योगों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं जो मानकों पर खराब पाए गए हैं। प्रदेश के इन सभी उद्योगों से जवाब मांगा गया है और खराब बैच को रिकॉल कर उन्हें नष्ट करने के निर्देश जारी किए गए हैं। हिमाचल प्रदेश में राज्य की टीम व सी.डी.एस.सी.ओ. टीम भी ज्वांइट इंस्पैक्शन करती है। प्रदेश में बनी कुछ दवाएं तापमान के बढऩे व कम होने से भी खराब हो जाती हैं। हालांकि इस दिशा में दवा उद्योग मालिकों को उचित दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। प्रदेश के करीब 10 उद्योगों के दवा सैंपल फेल हैं।