विधानसभा चुनाव में हार-जीत के कुछ रोचक तथ्य

Tuesday, Dec 19, 2017 - 03:28 PM (IST)

सियासत के अपने ही रंग हैं। राजनीति में कुछ भी संभव है। 68 सीटों वाली हिमाचल विधानसभा के चुनावों में इस बार कुछ रोचक तथ्य देखने को मिले। 


ससुर ने दामाद को हराया
सोलन सीट पर दिलचस्प मुकाबला था। यहां जंग ससुर-दामाद के बीच हुई। सोलन सीट पहले से ही कांग्रेस के कब्जे में थी और यही कारण रहा कि कांग्रेस ने इन चुनावों में भी इस बार धनीराम शांडिल को ही टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा। भाजपा ने उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए उनके ही दामाद पर दांव खेल दिया। भाजपा प्रत्याशी राजेश कश्यप कांग्रेस प्रत्याशी शांडिल के दामाद होने के साथ-साथ शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद वीरेंद्र कश्यप के छोटे भाई हैं, इसलिए ही इस सीट पर चुनावी मुकाबला कड़ा माना जा रहा था। शांडिल ने भाजपा प्रत्याशी राजेश कश्यप को 671 मतों से हराया। शांडिल को 26,200 व राजेश को 25,529 मत पड़े जबकि सी.पी.आई.एम. के प्रत्याशी अजय भट्टी को 1,632 मत पड़े।


कुड़म-कुड़क चुनाव हारे
13वीं विधानसभा के चुनाव परिणामों से जुड़े कई रोचक तथ्य भी सामने आए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गुलाब सिंह ठाकुर दोनों इस बार चुनाव हार गए हैं। दोनों कुड़म-कुड़म हैं जोकि एक साथ चुनाव हारे हैं। 


बाप-बेटा चुनाव जीते
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह इस बार एक साथ चुनाव जीते हैं। वीरभद्र 9वीं बार विधायक बने हैं तो विक्रमादित्य सिंह पहली बार विधायक बने हैं।


एक समधी जीता तो दूसरा हारा
भाजपा के 2 नेता रविंद्र रवि और नरेंद्र ठाकुर समधी हैं। इसमें रवि देहरा से चुनाव हार गए जबकि नरेंद्र हमीरपुर से चुनाव जीत गए। 


परिवारवाद वाले नेता भी हारे
सियासी परिवारों से संबंध रखने वाले नेता भी इस बार चुनाव हारे हैं। पूर्व मंत्री स्व. पंडित संतराम के बेटे एवं शहरी विकास व आवास मंत्री सुधीर शर्मा, पूर्व मंत्री स्व. कर्ण सिंह के बेटे आदित्य विक्रम सिंह चुनाव हार गए हैं। इस चुनाव में उनके बड़े पिता यानि ताया महेश्वर सिंह भी चुनाव हार गए हैं। पूर्व सांसद स्व. कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी के बेटे विनोद सुल्तानपुरी, पूर्व विधायक मिलखी राम गोमा के बेटे यादवेंद्र गोमा, पूर्व मंत्री सत महाजन के बेटे अजय महाजन, पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल के पौत्र रोहित ठाकुर और पूर्व विधायक लता ठाकुर के बेटे रवि ठाकुर भी चुनाव हार गए हैं। 


चचेरे भाइयों में से 1 को मिली जीत
शिमला जिला में इस बार भाजपा टिकट पर 2 अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से चचेरे भाई चुनाव लड़ रहे थे। इसमें से पूर्व विधायक राकेश वर्मा ठियोग से चुनाव हार गए जबकि बलबीर सिंह वर्मा दूसरी बार चुनाव जीतने में सफल रहे।


कांग्रेस व भाजपा ने उतारे थे 25 नए चेहरे 
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का नए चेहरों पर खेला गया दांव भी इस बार काम नहीं आया। कांग्रेस ने विस चुनाव में सबसे अधिक 14 नए प्रत्याशियों को टिकट दिए थे, जिनमें से केवल 2 ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे जबकि 14 प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा इस मामले में कांग्रेस से बेहतर करने में कामयाब रही। भाजपा के 11 में से 5 नए प्रत्याशी पहले चुनाव में ही जीत दर्ज करने में कामयाब रहे हैं। इसी तरह 2 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपने पहले चुनाव में ही जीत हासिल करने में कामयाबी हासिल की है।  


शिमला ग्रामीण से कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह व पालमपुर से कांग्रेस प्रत्याशी आशीष बुटेल ही अपना पहला चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं जबकि चम्बा से नीरज नैय्यर, जस्वां परागपुर से सुरेन्द्र मनकोटिया, बंजार से आदित्य विक्रम सिंह, आनी से परस राम, नाचन से लाल सिंह कौशल, जोगिन्द्रनगर से जीवन लाल ठाकुर, सरकाघाट से पवन कुमार, नाहन से अजय सोलंकी, मंडी से चंपा ठाकुर, कुटलैहड़ से विवेक, ठियोग से दीपक राठौर व मनाली से कांग्रेस के टिकट पर अपना पहला चुनाव लड़ रहे हरिचंद्र शर्मा को हार का सामना करना पड़ा।  


भाजपा ने भी 11 नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा था। अपना पहला चुनाव लड़ रहे 11 प्रत्याशियों में से 5 ही जीतने में कामयाब रहे हैं। बंजार से सुरेन्द्र शौरी, भोरंज से कमलेश कुमारी, झंडूता से जे.आर. कटवाल, बिलासपुर से सुभाष ठाकुर व गगरेट से राजेश ठाकुर ही अपना पहला चुनाव जीतने में कामयाब रहे जबकि डल्हौजी से डी.एस. ठाकुर, फतेहपुर से कृपाल परमार, पालमपुर से इंदू गोस्वामी, अर्की से रत्न सिंह पाल, सोलन से राजेश कश्यप व रोहड़ू से शशिबाला को अपने पहले चुनाव में ही हार का मुंह देखना पड़ा। प्रदेश में 2 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपने पहले चुनाव में जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। जोगिन्द्रनगर से प्रकाश राणा व देहरा से होशियार सिंह ठाकुर ने तिकोने मुकाबले मेें पहले चुनाव में ही जीत दर्ज की है।