संस्कृत महाविद्यालय में संस्कृत के संरक्षण पर मंथन

Tuesday, Mar 05, 2024 - 10:34 PM (IST)

सोलन (पाल): संस्कृत महाविद्यालय में चल रहे हिमाचल संस्कृत अकादमी के कार्यक्रम को छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा। छात्रों के हंगामे को देखते हुए महाविद्यालय प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी। यही नहीं, छात्रों को बाहर ही रोकने के लिए महाविद्यालय के मुख्य द्वार को बंद कर दिया। प्रदेश भर से अपनी मांगों को लेकर संस्कृत महाविद्यालय में पहुंचे शास्त्री के छात्र अकादमी के सचिव से मिलने की जिद कर रहे थे। जब उन्हें अंदर जाने नहीं दिया तो इन छात्रों ने कालेज के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन कर सरकार व अकादमी के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। प्रदेश शास्त्र संरक्षण छात्र संघ के बैनर तले ये छात्र अपनी एक मांग को लेकर संस्कृत महाविद्यालय में पहुंचे हुए थे।

यहां पर हिमाचल संस्कृत अकादमी का राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम चला हुआ था। इसमें देश भर के संस्कृत विद्वान पहुंचे हुए थे। इसमें संस्कृत के संरक्षण को लेकर मंथन चला हुआ था और बाहर शास्त्री के छात्र अपने भविष्य को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। छात्र शास्त्री के टी.जी.टी. टैट में आर्ट्स व एम.ए. के छात्रों को भी पात्र बनाने का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि 5 वर्ष तक संस्कृत की पढ़ाई पूरी कर उन्हें शास्त्री की डिग्री मिल रही है और बी.ए. व एम.ए. के छात्र जिन्होंने केवल एक वर्ष संस्कृत विषय का अध्ययन किया है, उन्हें टी.जी.टी. (शास्त्री) के टैट में पात्र बनाकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

संघ की नाराजगी थी कि हिमाचल संस्कृत अकादमी ने उनके भविष्य के संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया। अकादमी ने एक बार भी सरकार के समा इस मसले को नहीं उठाया। इस विषय पर बातचीत करने के लिए वे अकादमी के सचिव से मिलना चाह रहे थे। जैसे ही ये छात्र अंदर जाने लगे तो इनकी अधिक संख्या को देखते हुए उन्हें बाहर ही रोक दिया। इसके बाद गुस्साए छात्रों ने सरकार व प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। इसी बीच पुलिस भी पहुंच गई। इसी बीच अकादमी के अधिकारी भी उनसे बातचीत करने के लिए पहुंचे, लेकिन छात्रों की नारेबाजी को देखते हुए वे कुछ समय बाद वापस चले गए। कुछ देर बाद अकादमी के सचिव ने 4 छात्रों को बातचीत के लिए बुलाया। इस दौरान बाहर बैठे छात्र नारेबाजी करते रहे।

हिमाचल प्रदेश शास्त्र संरक्षण छात्र संघ के प्रदेशाध्यक्ष हनीष शर्मा ने बताया कि प्रदेश भर में छात्रों को अपनी मांगों को लेकर कक्षाओं के बहिष्कार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि संस्कृत के संरक्षण के लिए बनी संस्कृत अकादमी कार्य नहीं कर रही है। शास्त्री भर्ती के लिए बी.ए. व एम.ए. के छात्र भी पात्र हैं, जो सरासर गलत है। इससे शास्त्री कर रहे छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। संघ ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांग के बारे में बताया, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई। सोलन महाविद्यालय में हिमाचल संस्कृत अकादमी का राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम चला हुआ है क्योंकि इसमें देशभर से संस्कृत के विद्वान आए हैं तो उन्हें अपनी मांग से अवगत करवाना था कि सरकार की इस नीति से संस्कृत छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा, लेकिन उन्हें अंदर जाने नहीं दिया गया। इसके कारण छात्रों को बाहर प्रदर्शन करना पड़ा। ब्यास संस्कृत महाविद्यालय रघुनाथपुर कुल्लू के प्राचार्य डा. ओम कुमार शर्मा ने बताया कि सरकार की इस नीति से संस्कृत महाविद्यालयों में ताले लटक जाएंगे। अकादमी को भारतीय संस्कृति को बचाने की दिशा में काम करना चाहिए।

 

Content Writer

Kuldeep