निचली पहाड़ियों पर बर्फानी तेंदुआ, वन विभाग के ट्रैप कैमरों में कैद हुई हलचल

Wednesday, Jun 27, 2018 - 08:53 PM (IST)

बिलासपुर (प्रकाश): मौसम के बदलते मिजाज का असर अब इंसानों पर ही नहीं अपितु वन्य प्राणियों के जीवन पर भी नजर आने लगा है। इसे मौसम का ही असर कहा जा सकता है कि हिमालय की 3,500 मीटर से अधिक की आईस रेंज में रहने वाला स्नो लैपर्ड यानी बर्फानी तेंदुआ अब 2,500 मीटर की निचली ऊंचाई पर अक्सर नजर आने लगा है। इस बात का खुलासा वल्र्ड हैरिटेज के दर्जे से नवाजे गए कुल्लू के द ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क में वन विभाग द्वारा लगाए गए ट्रैप कमरों से हुआ है।


बर्फानी तेंदुओं की संख्या राहत व खुशी देने वाली
ट्रैप कैमरों में स्नो लैपर्ड यानी बर्फानी तेंदुए ज्यादा संख्या में नजर आए। इससे यह भी पता चला है कि बर्फानी तेंदुए की आवाजाही निचली हिमालयन रेंज में बढ़ी है। वहीं विशेषज्ञों की मानें तो बर्फानी तेंदुओं की यह संख्या उनके लिए राहत व खुशी देने वाली है क्योंकि ये बर्फानी तेंदुए दुर्लभ वन्यप्राणी प्रजातियों में आते हंै व इतने कम दिखे कि इनके विलुप्त होने की चिंता वन्य जीवन विशेषज्ञों को सताए जा रही है।


स्नो लैपर्ड का मिलना शोध का विषय
स्नो लैपर्ड का 2,500 मीटर की निचली रेंज में मिलना अब विशेषज्ञों के लिए शोध का विषय बन गया है। वहीं निचली रेंज में बर्फानी तेंदुओं का आना उनके जीवन के बारे में वह राज जानने में भी मदद करेगा, जिससे विशेषज्ञ अनजान हैं।


वन विभाग की टीम को मिले तेंदुओं के पैरों के निशान
द ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क में 9 ट्रैक हैं, जिनमें से एक ट्रैक पर वन विभाग की टीम ने सप्ताह भर ट्रैकिंग की। इस दौरान इस टीम को बर्फानी तेंदुओं के पैरों के निशान मिले। इस टीम में शामिल वन अरण्यपाल बिलासपुर आर.एस. पटियाल ने बताया कि स्नो लैपर्ड 3,500 मीटर ऊंचाई वाले बर्फबारी वाले एरिया में पाए जाते हैं। इससे निचली ऊंचाई पर इनका पाया जाना थोड़ा हैरानी व रोमांच पैदा करने वाला है। उन्होंने बताया कि इसकी रिपोर्ट बना कर उच्चाधिकारियों को भेज दी है।

Vijay