सोया घर में और पहुंच गया जंगल में, पढ़ें रोचक है कहानी

Monday, Jun 19, 2017 - 01:30 AM (IST)

कुल्लू: एक व्यक्ति रात को भोजन करने के बाद अपने घर में सोया और आधी रात को उसने खुद को एक ऊंची पहाड़ी पर पाया। कुछ पल के लिए उस व्यक्ति सोचा कि जिस जगह वह आधी रात को खड़ा है यहां तक पहुंचने के लिए तो कई घने जंगलों को पार करना पड़ता है। आखिर वह यहां पहुंचा कैसे। फिर वह महसूस करता है कि वह देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी के एक कार्य को पूरा करने के लिए देवी के आदेश पर ही यहां आया है। उस कार्य को पूरा करने के बाद वह शख्स कुछ बुरांस के फूल, बेठर (धूप की पत्तियां) व कुछ जड़ी-बूटियां हाथ में लेकर वहां से वापस लौटता है। ब्रह्म मुहूर्त में जब वह घने जंगल से निकलकर रुमसू गांव से गुजरता है तो ग्रामीण उस शख्स को देखते हैं। फिर खबर फैल जाती है कि देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी ने अपना गुर चुन लिया है। जी हां, यह कोई सपना नहीं बल्कि सत्य है।

धरोहर गांव नग्गर के नीलकंठ के साथ हुई यह घटना
कुल्लू जिला के धरोहर गांव नग्गर के नीलकंठ भारद्वाज के साथ ऐसा ही हुआ। अब नीलकंठ भारद्वाज देवी त्रिपुरा सुंदरी के गुर चुन लिए गए हैं। कुल्लू में दैवीय शक्तियों का इतना प्रभाव है कि देवी-देवता देव कारजों को निरंतर जारी रखने के लिए कब किससे क्या करवाएं किसी को पता नहीं। इसे आस्था कहें या देवी-देवताओं के प्रति अटूट विश्वास। देव भूमि में देवी-देवताओं की मर्जी के बिना कोई कारज संपन्न नहीं हो पाता।

सब कुछ सपने जैसा लगा
37 वर्षीय नीलकंठ भारद्वाज बताते हैं कि वह कुछ दिन पहले घर में रात को सोए और फिर उन्होंने आधी रात के  समय स्वयं को चंद्रखणी में पाया। उन्हें सब कुछ एक सपने जैसा लगा। अचानक देवी त्रिपुरा सुंदरी का ध्यान आया और मैं समझ गया कि मैं यहां क्यों आया हूं। बस फिर क्या था मैंने देवी के आदेशानुसार अपना कार्य किया और सुबह जगती पट परिसर में जा पहुंचा। वहां पर सभी देव कारकून एकत्रित हुए और मुझे देवी त्रिपुरा सुंदरी के गुर के रूप में चुना गया। 

चंद्रखणी पहुंचने के लिए लगते हैं 5 से 6 घंटे 
चंद्रखणी जोत तक पहुंचने के लिए करीब 5-6 घंटों तक घने जंगलों के बीच से खड़ी चढ़ाई तय कर पहुंचना पड़ता है। दिन के समय भी इन घने जंगलों से गुजरने से लोग कतराते हैं। करीब एक वर्ष पूर्व आधा दर्जन छात्र चंद्रखणी क्षेत्र में भटकने के बाद फंस गए थे और उन्हें जिला प्रशासन ने हैलीकाप्टर के जरिए निकाला था। 

कई नियमों से बंध जाता है गुर
देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी कुल्लू के राज परिवार की 5 कुल देवियों में सबसे ज्येष्ठ मानी जाती हैं। इस देवी का गुर बनने वाला व्यक्ति कई नियमों से बंध जाता है। यहां तक कि यह शख्स किसी की भी मृत्यु पर चाहे वह उसका अपना सगा ही क्यों न हो उसे मुखाग्नि तक नहीं दे सकता। किसी शोक समूह में शामिल नहीं हो सकता। यदि घर में नए मेहमान के आने पर किलकारियां गूंजें तो भी उसे घर से बाहर ही तपस्वी की भांति रहना पड़ेगा।