हिमाचल में बढ़ रहा है त्वचा का संकट: जानें लक्षण और बचाव ?

punjabkesari.in Wednesday, Dec 03, 2025 - 02:50 PM (IST)

शिमला, (संतोष कुमार): सर्द और शुष्क मौसम के कारण त्वचा संबंधी रोगों और जोरोसिस के मामलों में वृद्धि हुई है। ठंड में हवा में नमी कम होने से त्वचा का प्राकृतिक तेल कम हो जाता है, जिससे त्वचा रूखी, खुरदरी और परतदार हो जाती है, और सोरायसिस जैसे रोग बढ़ जाते हैं। मौसम में बदलाव के साथ त्वचा के रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है।

सर्द मौसम व शुष्क ठंड के कारण त्वचा रोगियों की संख्या बढ़ी है, जिसमें जोरोसिस के मामले भी शामिल हैं। जिला अस्पताल डी.डी.यू. में प्रतिदिन त्वचा रोग के 80 से 100 मरीज आ रहे हैं, जिनमें जोरोसिस के मामले भी दस प्रतिशत शामिल हैं। ठंड के मौसम में कोशिकाओं में नमी कम हो जाती है, जिससे त्वचा सूखने लगती है और फटने की शिकायत शुरू हो जाती है।

अधिक लापरवाही से त्वचा की ऊपरी सतह के साथ निचली सतह भी प्रभावित होकर धीरे-धीरे सूखने लगती है। ऐसे में त्वचा की परत बाहर निकलने लगती है। बाद में वातावरण में मौजूद जीवाणुओं व गंदगी की वजह से त्वचा में संक्रमण के कारण फुंसी-फोड़ा, एक्जीमा, खुजली आदि चर्म रोग हो जाते हैं। इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

मधुमेह भी एक जोखिम कारक, जोरोसिस क्यूटिस हो सकता है विकसित

जोरोसिस क्यूटिस शुष्क त्वचा के लिए चिकित्सा शब्द है, जो सामान्य से अधिक गंभीर है। यह नाम ग्रीक शब्द जीरो से आया है, जिसका अर्थ है सूखा। ठंडी सर्दियों के महीनों के दौरान शुष्क त्वचा अधिक आम है। गुनगुने पानी से थोड़ी देर शॉवर लेकर और मॉइस्चराइजर का उपयोग करके दैनिक दिनचर्या को संशोधित करने से जोरोसिस क्यूटिस को रोकने में मदद मिल सकती है। शुष्क त्वचा की सतह पर तेल की कमी से जुड़ी होती है।

यह आमतौर पर पर्यावरणीय कारकों से शुरू होता है, जिनमें त्वचा को अत्यधिक साफ करना या अत्यधिक रगड़ना, अत्यधिक गर्म पानी का उपयोग करके स्नान या शॉवर लेना, बहुत बार नहाना, जोर-जोर से तौलिए से सुखाना, कम आर्द्रता वाले क्षेत्रों में रहना, ठंडी, शुष्क सर्दियों वाले क्षेत्रों में रहना, अपने घर या कार्यस्थल में सैंट्रल हीटिंग का उपयोग करना, निर्जलीकरण या पर्याप्त पानी न पीना, लंबे समय तक धूप में रहना आदि शामिल है।

युवा लोगों की तुलना में वृद्ध लोगों में इस स्थिति के विकसित होने की संभावना अधिक होती है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे पसीने वाली ग्रंथियां और वसामय ग्रंथियां कम सक्रिय हो जाती हैं, जिसका मुख्य कारण हार्मोन में बदलाव होता है। मधुमेह भी एक जोखिम कारक है, जिससे मधुमेह से पीड़ित वृद्ध व्यक्तियों में जोरोसिस क्यूटिस विकसित होने की बहुत अधिक संभावना होती है।

यह होते हैं इसके लक्षण

त्वचा शुष्क, खुजलीदार और पपड़ीदार होती है, विशेषकर बांहों और पैरों पर त्वचा जो कड़ी महसूस होती है, खासकर नहाने के बाद सफेद, परतदार त्वचा लाल या गुलाबी चिड़चिड़ी त्वचा, त्वचा पर बारीक दरारें आ जाती है। 

सर्द मौसम में त्वचा रोगों के यह होते हैं प्रमुख कारण

कम आद्रता : ठंडी और शुष्क हवा त्वचा से नमी सोख लेती है, जिससे त्वचा रूखी और परतदार हो जाती है।
घरेलू हीटिंग : इनडोर हीटिंग सिस्टम हवा में नमी की मात्रा कम कर देते हैं, जिससे त्वचा और रूखी हो जाती है।
गर्म पानी से नहाना : गर्म पानी त्वचा की बाहरी परत को नुक्सान पहुंचा सकता है, जिससे नमी कम होती है और खुजली बढ़ जाती है।
कम धूप : सर्दियों में धूप में कम रहने से प्राकृतिक यूवी किरणों का संपर्क कम होता है, जो सोरायसिस के लिए फायदेमंद हो सकता है।

नियमित रूप से माइस्चराइजर का करें उपयोग : डा. योगराज

डी.डी.यू. अस्पताल शिमला के स्किन स्पैशलिस्ट डा. योगराज वर्मा ने कहा कि इस समस्या से बचाव के लिए गुनगुने पानी से नहाएं, त्वचा पर नियमित रूप से मॉइस्चराइजर लगाएं और ऐसे कठोर क्लींजर से बचें जो त्वचा को और अधिक रूखा बना सकते हैं। घर पर शुष्क त्वचा का इलाज करने में त्वचा पर नियमित रूप से मॉइस्चराइजर का उपयोग करना चाहिए।

आमतौर पर, पानी आधारित क्रीम की तुलना में तेल आधारित क्रीम नमी बनाए रखने में अधिक प्रभावी होती है। उन्होंने इसके उपाय सुझाते हुए कहा कि अत्यधिक पानी के संपर्क से बचें, और गर्म टब या पूल में अधिक समय न बिताएं, किसी भी रंग, सुगंध या अल्कोहल के बिना सौम्य क्लींजर का उपयोग करें, नहाने के बाद अपने शरीर पर तौलिया रगड़ने की बजाय त्वचा को तौलिए से थपथपाकर सुखाएं, खूब पानी पीकर हाइड्रेटेड रहें, त्वचा के शुष्क क्षेत्रों पर साबुन का उपयोग सीमित करें और तेल मिलाए हुए हल्के साबुन चुने, प्रभावित क्षेत्र को खरोंचने से बचे, तेल-आधारित मॉइस्चराइजिंग लोशन का बार-बार उपयोग करें, विशेष रूप से सर्दियों में, और सीधे स्नान या शॉवर के बाद, बाहर जाते समय सनस्क्रीन का प्रयोग करें और अपने घर में हवा की नमी बढ़ाने के लिए हयूमिडिफायर का उपयोग करें। चिकित्सीय परामर्श से ही दवा का प्रयोग करें।

इसके लिए बचाव और प्रबंधन के लिए यह करें

मॉइस्चराइजर : त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए हाइलूरोनिक एसिड, सेरामाइड्स और ग्लिसरीन जैसे तत्वों वाले मॉइस्चराइजर का उपयोग करें।
सही तापमान में नहाएं : गर्म पानी की बजाय गुनगुने पानी का उपयोग करें और नहाने का समय कम रखें।
ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें: घर में नमी के स्तर को बनाए रखने के लिए ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें।
सुरक्षात्मक कपड़े पहनें : ठंडी हवाओं से बचाव के लिए दस्ताने, स्कार्फ और टोपी जैसे सुरक्षात्मक कपड़े पहनें।
सही क्लींजर चुनें: कठोर और झाग वाले क्लींजर से बचें। ऐसे उत्पादों का उपयोग करें जिनमें अल्कोहल, पैराबेन या सुगंध न हो।

सही तरीके से नहाएं : बहुत ज्यादा साबुन का उपयोग करने से बचें और नहाने के तुरंत बाद त्वचा को सुखाकर मॉइस्चराइजर लगाएं।
पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं : शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें।

 


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Content Editor

Jyoti M

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