अब पशु-पक्षियों की अवैध बिक्री करना दुकानदारों को पड़ेगा भारी, भुगतनी होगी यह सजा

Monday, Nov 19, 2018 - 11:10 AM (IST)

धर्मशाला : जिला भर में चल रही पशु-पक्षियों की बिक्री की अवैध दुकानों पर वन विभाग शिकंजा कसने जा रहा है। जानकारी के अनुसार विभाग के पास जानकारी मिली थी कि जिला के कुछेक क्षेत्रों की दुकानों पर खुलेआम पशु-पक्षियों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है, जिन पर वन्य जीव अधिनियम के तहत बेचने की पाबंदी है। यहां के विभिन्न क्षेत्रों रोजाना पशु-पक्षियों की दुकान सजती है। इसमें तोता, खरगोश व सफेद चूहा सहित कई जीव-जंतु ऐसे हैं, जिनकी बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। खुलेआम नियमों को ताक पर रखकर पक्षी बेचने का धंधा चल रहा है। इसकी जानकारी मिलने पर विभाग ने ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए यह अभियान चलाया जाएगा।

खुलेआम चल रही अवैध मंडी
जिला भर में जानवरों व पक्षियों की मंडी अवैध रूप से चलती है। यहां कोई भी प्रतिबंधित जानवर या पक्षी चाहिए तो मिल जाएगा। किसी भी पक्षी को पिंजरे में कैद करके रखना अपराध है लेकिन यहां इस पर किसी तरह की कोई सख्ती नहीं है।

क्या कहता है भारत वन्य संरक्षण अधिनियम
सरकार ने 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इसका मकसद वन्य जीवों के अवैध शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना था। इसे 2003 में संशोधित किया गया तब इसका नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 रखा गया। इसके तहत दंड और जुर्माना को कहीं कठोर कर दिया गया।

क्या है दंड
अगर जानवरों का शिकार किया गया है तो उसमें कम से कम 3 साल के जेल का प्रावधान है, हालांकि इस सजा को 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है. कम से कम 10 हजार रुपए जुर्माना हो सकता है।

kirti