विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की करारी हार, 31 साल बाद BJP ने लहराया भगवा

Sunday, Jun 18, 2017 - 12:18 PM (IST)

शिमला: आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नगर निगम शिमला के चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका लगा है। इस चुनाव में पहली बार भाजपा 31 साल बाद निगम में सत्ता की दहलीज तक पहुंची है। बताया जाता है कि भाजपा स्पष्ट बहुमत से एक कदम दूर रह गई लेकिन पंथाघाटी वार्ड से जीते पार्टी के निर्दलीय राकेश शर्मा ने भाजपा को समर्थन दे दिया है। वहीं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के 4 वार्डों में से 2 सीटों पर भाजपा कब्जा करने में सफल रही है। इसमें से 1 सीट पर कांग्रेस और 1 अन्य पर कांग्रेस के बागी प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। यानी लोकसभा चुनाव के बाद निगम चुनाव में भी शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को झटका लगा है। कांग्रेस की तरफ से इस बार यहां से मुख्यमंत्री के स्थान पर उनके पुत्र एवं युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह को चुनाव मैदान में उतारने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अपने वार्ड जाखू में इस बार कांग्रेस विजयी रही है।  


निगम के 34 वार्डो के लिए हुआ था चुनाव
बताया जाता है कि नगर निगम चुनाव को विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था। कांग्रेस सरकार निगम की सत्ता पर वापसी करना चाहती थी, जबकि भाजपा जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए थी। चुनाव में सर्वाधिक नुकसान मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को हुआ है। वामपंथियों के वोट पर भाजपा ने कब्जा जमाया है। निगम के 34 वार्डो के लिए चुनाव हुआ था। शनिवार को आए चुनाव नतीजों में भाजपा 17 सीटें जीतकर सबसे बडे़ दल के रूप में उभर कर सामने आई। कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं, जबकि चार सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीतीं। मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को एक सीट से संतोष करना पड़ा है। 


12 वार्डों में से कांग्रेस के खाते में 5 सीटें
कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र से इस समय कांग्रेस के विधायक अनिरुद्ध सिंह है, वहां 12 वार्डों में से कांग्रेस के खाते में 5 सीटें गई हैं। यहां पर 4 सीटें भाजपा और 3 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती हैं। इस तरह कसुम्पटी में भी पार्टी सही प्रत्याशियों के चयन में नाकाम रही, जो पार्टी के लिए घातक बना। हालांकि इसमें से 2 कांग्रेस के बागी प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। शिमला के विधायक सुरेश भारद्वाज के लिए यह चुनाव सुखद संकेत लेकर आया है। उनके शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में कुल 18 वार्ड थे, जिसमें से भाजपा को 11, कांग्रेस को 6 और सी.पी.एम. के खाते में 1 सीट गई है। पिछली बार कांग्रेस टिकट पर शिमला से चुनाव लड़े हरीश जनारथा विधानसभा चुनाव लड़े थे और इस मर्तबा निगम चुनाव में प्रचार किया था। ऐसे में कांग्रेस का शहरी क्षेत्र से हारना उनके लिए ङ्क्षचता का विषय है।


बारिश के कारण मतगणना में हुई देरी
बीच में कुछ देर के लिए बारिश के कारण चुनाव परिणाम आने में देरी हुई और लोग बीच बारिश में अंतिम निर्णय तक मैदान में डटे रहे। इसके बाद भाजपा के पक्ष में आए अप्रत्याशित नतीजों ने सबको चौंका दिया। शहर की जनता नगर निगम चुनाव परिणाम का बेसब्री के साथ इंतजार कर रही थी। क्षेत्र में रहने वाली जनता सुबह 9 बजे से ही जिलाधीश कार्यालय में पहुंच गई थी।  


सोशल मीडिया में छाया रहा चुनाव
सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर भी नगर निगम का चुनाव पूरे दिन छाया रहा। इसके अलावा फेसबुक पर लोग ताजा हालातों और नवीन घटनाक्रमों का ब्यौरा अपडेट करते रहे। युवा व्हाट्सएप पर अपने दोस्तों से जानकारी शेयर करते दिखे।  


चुनावी परिणाम ने बढ़ाया शहर का तापमान
नगर निगम चुनाव परिणाम ने शहर का तापमान बढ़ा दिया। यह परिणाम किसी के चेहरों को मुस्कराहट दे रहा था तो किसी को मायूस करने वाला था। 


वीरभद्र, धूमल व नड्डा सहित अन्य नेताओं ने किया था प्रचार
नगर निगम शिमला के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा सहित अन्य नेताओं ने प्रचार किया था। मुख्यमंत्री ने चुनाव प्रचार के लिए 2 दिन दिए जबकि नेता प्रतिपक्ष ने 1 दिन प्रचार किया। इसी तरह केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शिमला में भाजपा के चुनाव प्रचार की शुरूआत की। भाजपा के 1 दर्जन के करीब विधायकों ने इस चुनाव में सक्रियता से काम किया और चुनाव के लिए विधायक डा. राजीव बिंदल को प्रभारी एवं पार्टी प्रवक्ता महेंद्र धर्माणी को सह प्रभारी बनाया गया था। कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा दूसरे नेता प्रचार में बहुत कम नजर आए। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद आनंद शर्मा शिमला तो आए लेकिन वे भराड़ी तक ही सीमित रहे। इसी तरह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू भी अंतिम समय में प्रचार में नजर आए। इतना ही नहीं कांग्रेस पहली बार निगम चुनाव में सभी वार्डों में प्रत्याशी तक नहीं उतार पाई। युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने भी इस चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया। इसके विपरीत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती और उनकी पूरी टीम ने सक्रियता से काम किया। भाजपा में भी कुछ स्थानों पर टिकट वितरण को लेकर बवाल मचा लेकिन उसके बावजूद भी पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक रहा।


ये नहीं कर पाए 50 का आंकड़ा पार
इसी तरह कसुम्पटी वार्ड में एक और इस तरह का मामला सामने आया है, जहां पर प्रत्याशी को केवल 9 ही मत पड़े। इस वार्ड के प्रत्याशी अजय चौहान को केवल 9 मतों से संतोष करना पड़ा। इसी तरह वार्ड 19 संजौली चौक से पवन कुमार को भी केवल 10 मतों से संतोष करना पड़ा। इसी तरह एक अन्य वार्ड नम्बर 23 भट्टा कुफर से देव कली नेगी को केवल 28 मतों से संतोष करना पड़ा। इसके अतिरिक्त कृष्णानगर वार्ड से कृष्णा कुमारी को 34 मत प्राप्त हुए। इसी वार्ड से बिट्टू को 32, कच्ची घाटी वार्ड से सुरेश ठाकुर को 32 मत प्राप्त हुए। पंथाघाटी वार्ड से विद्या सागर नाम्टा को 27, कसुम्पटी के अक्षय दलैक को 42 मतों से ही संतोष करना पड़ा।


जब प्रत्याशी को पड़े मात्र 2 वोट 
एक प्रत्यशी ऐसा भी है जिसे 2 ही वोट पड़े। आजाद प्रत्याशी के तौर पर खड़े पंथाघाटी वार्ड से धीरज राम को मात्र 2 ही मत पड़े। हैरत तो तब हो गई जब प्रत्याशी अपने लिए अपना ही मत नहीं डाल सका क्योंकि उनका वोट मतदाता सूची में शामिल ही नहीं था। 


पार्टी चिन्ह के बगैर संपन्न हुए चुनाव
एम.सी. शिमला के चुनाव दूसरी बार बिना पार्टी चिन्ह के करवाए गए हैं। चुनाव भले ही पार्टी चिन्ह के बगैर हुए हैं लेकिन कांग्रेस, भाजपा और माकपा तीनों ही दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतार रखे थे। यही वजह रही लोग सूबे की सरकार को पार्टी चिन्ह पर चुनाव न करवाने को लेकर कोसती रहे। चुनावी नतीजे आने के बाद दोनों पार्टी दावे कर रही हैं कि यदि पार्टी चिन्ह पर चुनाव होते तो उन्हें और बढ़त मिल सकती थी।