शिमला-कालका रेल मार्ग पर अब रफ्तार पकड़ेगी ट्रेन, नई तकनीक का होगा प्रयोग

Sunday, Oct 28, 2018 - 04:55 PM (IST)

शिमला: रेलवे यूनेस्को विश्व धरोहर शिमला-कालका रेल मार्ग की 96 किलोमीटर की दूरी को 3 घंटे में पूरा कराने की कवायद में जुटा है। इसके लिए एक नई तकनीक के तहत रेलवे ट्रैक की ऊंचाई बढ़ाई जा रही है तथा रेल पटरियों एवं स्लीपर में आवश्यक सुधार किया जा रहा है। शिमला-कालका रेल मार्ग में 102 सुरंगें हैं और सैकड़ों घुमावदार मोड़ हैं जिनकी वजह से ट्रेन की रफ्तार कम रखनी पड़ती है। अब ऐसी पहल की जा रही है कि 48 डिग्री के तीव्र घुमाव वाले ट्रैक पर भी ट्रेन की रफ्तार बनी रहे। हाल ही में शिमला-कालका रेलमार्ग का निरीक्षण करने पहुंचे रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस ट्रैक पर चलने वाली गाड़ियों का समय करीब पांच घंटे से कम करके तीन घंटे करने की संभावनाएं तलाशने को कहा था। 

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेल मंत्री ने इस रेल मार्ग पर यात्रा अवधि तीन घंटे किए जाने हेतु संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए थे। इस साल के अंत तक इस संबंध में रिपोर्ट सौंपी जानी है। फिलहाल ट्रायल किए जा रहे हैं। शिमला से शोघी के बीच रफ्तार बढ़ाने के लिए ट्रैक को बेहतर बनाया जा रहा है। 22 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक पर चेकरेल डाला जा रहा है ताकि तेज गति से चल रही ट्रेन तीव्र घुमाव पर संतुलन बरकरार रखे। रेलवे अधिकारियों को उम्मीद है कि चेकरेल तकनीक से इस रूट पर ट्रेन 30-33 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकेगी जो अभी 20-22 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलती है।  

रेलवे के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि शिमला कालका रेलमार्ग पर जेडबीएम-3 इंजन चलता है जिसकी क्षमता 40 किलोमीटर प्रतिघंटा है। लेकिन घुमावदार मार्ग होने के कारण इसकी रफ्तार कम रखनी पड़ती है। हिमाचल प्रदेश में ही पठानकोट-जोगिन्दर नगर रेल मार्ग पर जेडबीएम-3 इंजन चलता है, लेकिन इसकी गति अधिक रहती है क्योंकि पहाड़ी इलाका होने के बावजूद यह रेलमार्ग बिल्कुल सीधा है। इस रेलवे ट्रैक की ऊंचाई बढ़ाने के साथ ही पटरियों के बीच रोड़ी एवं पत्थर भी डाले जा रहे हैं। रेलवे इस ट्रैक पर जल्द ही पूर्ण पारदर्शी कोच उतारेगा। यात्री इस कोच में बैठकर कालका-शिमला के मनोरम ²श्य का आनंद ले सकेंगे।   

Ekta