शिमला में पानी के संकट की असली वजह जानकर मेयर-डिप्टी मेयर भी हुए हैरान

Thursday, Jun 29, 2017 - 03:15 PM (IST)

शिमला: भरपूर पानी होने के बावजूद शिमला की जनता पानी को तरस रही है। आखिर जनता के हिस्से का पानी कहां जा रहा है? कौन इसके लिए जिम्मेदार है? इसकी असली वजह जानकर मेयर-डिप्टी मेयर समेत सभी पार्षद भी हैरान रह गए। नगर निगम का कार्यभार संभालने के दूसरे ही दिन मेयर कुसुम सदरेट और डिप्टी मेयर राकेश शर्मा पार्षदों समेत बुधवार को शिमला की सबसे बड़ी ब्रिटिशकालीन गुम्मा पेयजल परियोजना का हाल जानने यहां पहुंचे। कर्मचारियों ने सबसे पहले उन्हें वर्ष 1921 ब्रिटिशकालीन के जमाने के बने टैंक दिखाए जिससे शिमला शहर को पानी की सप्लाई होती थी। सभी पार्षद इनकी मशीनरी, फिल्टर सिस्टम और पंपिंग को लेकर बेहद खुश लग रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़े तो इनकी खामियां जानकर इनकी खुशी निराशा में बदलने लगी। पता चला कि यहां ज्यादातर पंप खराब पड़े हैं। 


16 पंपों में से केवल 3 पंप ही कर रहे हैं काम
फिल्टर सिस्टम भी काफी समय से नहीं बदला गया है। जगह-जगह लीकेज हो रही है। उन्होंने कहा कि जिस परियोजना से करीब 21 एमएलडी तक पानी देकर शिमला की प्यास बुझ सकती है उससे आजकल महज 11-14 एमएलडी पानी की सप्लाई होती है। इस पेयजल योजना के वाटर लिफ्टिंग सिस्टम में ढेरों खामियां पाई गई हैं। यहां पर 16 पंपों में से केवल 3 पंप ही काम कर रहे हैं, जबकि एक पंप को स्टैंडबाय रखा गया है। कुसुम सदरेट ने निगम आयुक्त से गुम्मा पंप स्टेशनों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। डिप्टी मेयर ने बताया कि विजिट के दौरान यहां पर वाटर लिफ्टिंग सिस्टम में खामियां पाई गई हैं। उन्होंने कहा कि विजिट के दौरान इस पेयजल व्यवस्था के हर पहलू पर चर्चा की गई, जिसे सदन के समक्ष रखा जाएगा, साथ ही निगम अधिकारियों के साथ इस मामले पर विस्तार से चर्चा कर गुम्मा की लिफ्टिंग व्यवस्था को सुधारा जाएगा। इसके लिए जल्द ही टैंडर प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। 


कांग्रेसी पार्षदों ने किया बहिष्कार
गुम्मा विजिट के लिए सभी पार्षदों को सूचित किया गया था, लेकिन कांग्रेसी पार्षदों ने विजिट का बहिष्कार किया। निरीक्षण में केवल मेयर व डिप्टी मेयर को मिलाकर 19 पार्षद ही गए। 

स्टाफ को नहीं मिल रहीं उचित सुविधाएं: डिप्टी मेयर
डिप्टी मेयर ने कहा कि गुम्मा में स्टाफ कर्मचारियों के लिए उचित सुविधाएं नहीं हैं। भवनों की हालत बेहद ही खराब है तथा अधिकारियों के यहां पर बैठने की भी सही व्यवस्था नहीं है। मामले की निगम अधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी और इसके बाद उचित कदम उठाए जाएंगे।