घुमंतू भेड़पालकों को नहीं मिल रहीं ये सुविधाएं, सरकार से जताई नाराजगी (Video)

Sunday, Nov 17, 2019 - 10:41 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप): हिमाचल प्रदेश में घुमंतू भेड़पालकों को सरकार सुविधाएं मुहैया नहीं करवा रही है। इससे हजारों लोगों का व्यवसाय खत्म होने की कगार पर है। प्रदेश में साल दर साल घुमंतू भेड़पालकों की संख्या घट रही है। सरकारी सुविधाएं न मिलने से नई पीढ़ी भेड़पालन व पशुपालन की तरफ रुचि नहीं ले रही है। भेड़पालन में बहुत सारी समस्याओं को देखते हुए घुमंतू भेड़पालक सरकार से चारागाह भूमि व ऊन कटाई के साथ भेड़ों की स्वास्थ्य जांच को लेकर मांग कर रहे हैं जोकि उनका अधिकार भी है।

भेड़ों को चराने के लिए मुहैया करवाए जाएं पट्टे

भेड़पालकों का कहना है कि इन अधिकारों के तहत भेड़ों को चराने के लिए पट्टे मुहैया करवाए जाएं और विदेशों की तर्ज पर प्रदेश में सुविधाएं दी जाएं। बढ़ते अवैध कब्जों के क्रम ने चारागाहों को सिकोड़ दिया है, अवैध कब्जों से सड़कें, अन्य सरकारी जमीनें भी सिकुड़ रही हैं। भेड़ों की ऊन कटाई के लिए भेड़पालकों को ऊन निकालने के लिए कैंची का प्रयोग करना पड़ रहा है जबकि विदेशों में मशीन से भेड़ की ऊन निकाली जाती है। प्रदेश के भेड़पालकों के लिए उत्तम क्वालिटी की नस्ल की भेड़ें विदेशों से लाई जाएं। कांगड़ा-चम्बा में हालांकि कुछ सुविधाएं मिल भी रही हैं लेकिन कुल्लू में ऐसा नहीं है, जिससे भेड़पालक परेशान हैं।

दयनीय है स्थिति

प्रदेश में घुमंतू भेड़पालकों की स्थिति दयनीय है, जिससे मंडी, हमीरपुर, कांगड़ा, चम्बा, सिरमौर, ऊना, सोलन व किन्नौर सहित अन्य जिलों के घुमंतू भेड़पालकों को गर्मियों में भेड़ों को लाहौल-स्पीति की पहाडिय़ों में चराने के लिए ले जाना पड़ता है। वहीं रास्ते में चोरों से भेड़ चोरी का डर लगा रहता है, ऐसे में प्रदेश सरकार की तरफ  से घुमंतू भेड़ पालकों को सुरक्षा नहीं मिलती।

क्या कहते हैं भेड़पालक

मंडी जिला के घुमंतू भेड़पालक चमन लाल ने बताया कि अप्रैल महीने से मंडी से लाहौल-स्पीति के लिए भेड़ों को चराने के लिए ले जाते हैं और रास्ते में डेरा लगाते हुए रुकते-रुकते लाहौल-स्पीति की पहाडिय़ों में पहुंचते हैं। रास्ते में बहुत ज्यादा कठिनाई पेश आती है। उन्होंने कहा कि बारिश, बाढ़ व बर्फबारी में कई बार ग्लेशियरों की चपेट में भेड़ों के आने से नुक्सान होता है। रास्ते में चोरों का भय रहता है। पूर्व में भेड़-बकरियां चुराने की वारदातें भी हुई हैं। युवा पीढ़ी इस कारण इस व्यवसाय में रुचि नहीं ले रही है। इस व्यवसाय में सरकार की तरफ  से भी कोई सुविधाएं नहीं मिलती। साल दर साल घुमंतू भेड़पालकों की संख्या घट रही है और हिमाचल में सरकार भेड़पालकों की सुध नहीं लेगी तो एक दिन आएगा जब यह व्यवसाय खत्म हो जाएगा।

क्या बोले पशुपालन विभाग के अधिकारी

पशुपालन विभाग कुल्लू के उपनिदेशक डॉ. संजीव नड्डा ने बताया कि भेड़, बकरियों व अन्य मवेशियों का हर साल विभाग में टीकाकरण होता है। विभाग की टीम गांव-गांव घर-घर जाकर भेड़-बकरियों, मवेशियों की गिनती करने के साथ-साथ टीकाकरण करती है। पीपीआर के टीके 3 साल में एक बार लगाए जाते हैं। मुंह-खुर रोग को लेकर टीकाकरण अभियान के तहत समूचा क्षेत्र कवर हो रहा है। पशुपालक व भेड़पालक इन सुविधाओं का लाभ उठाएं।  

Vijay