देश के अन्नदाताओं को बचाने के लिए शांता ने PM Modi को लिखा पत्र (Video)

Wednesday, Jun 06, 2018 - 11:45 PM (IST)

धर्मशाला (जिनेश): देश में बड़ी संख्या में कर्ज में डूबकर अन्नदाताओं द्वारा आत्महत्या करने की गंभीर समस्या को लेकर कांगड़ा-चम्बा के सांसद शांता कुमार ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में अन्नदाताओं को इस गंभीर समस्या से निजात दिलाने के लिए उनकी कमेटी द्वारा 2015 में दी गई रिपोर्ट को लागू करने का आग्रह किया है। उन्होंने धर्मशाला में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में कृषि महत्वपूर्ण क्षेत्र है लेकिन इस क्षेत्र की हमेशा अनदेखी होती रही है। यही कारण है कि आज अन्नदाता किसान आत्महत्या कर रहा है। देश के लिए चिंताजनक व शर्मनाक बात यह है कि अब तक देश में साढ़े 3 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि किसान अपनी बात कह नहीं पाते और आत्महत्या के लिए मजबूर होते हैं।


2015 में सौंपी रिपोर्ट की सिफारिशें नहीं हुईं लागू
उन्होंने कहा कि केंद्र में पी.एम. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद फू ड कार्पोरेशन ऑफ  इंडिया में पी.एम. ने हाई पावर कमेटी का गठन मेरी अध्यक्षता में किया था, जिसमें वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. अशोक गुलाटी भी शामिल थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को जनवरी, 2015 में सौंप दी थी। कमेटी की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकला था कि कृषि व्यवसाय फ ायदेमंद नहीं है इसलिए अधिकतर किसान कृषि छोडऩा चाहते हैं लेकिन बिना कृषि देश चलाना मुश्किल है। कमेटी ने किसानों को खेतों में लगाने के लिए उन्हें सीधी आय सहायता देने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री को सौंपी है लेकिन अभी तक उस रिपोर्ट की सिफारिशें लागू नहीं हो पाई हैं। 


एफ .सी.आई. में होता है बड़ा भ्रष्टाचार
उन्होंने कहा कि एफ .सी.आई. में काफी भ्रष्टाचार है। अध्ययन के आधार पर वह यह बात कह रहे हैं। एफ .सी.आई. में फि जूलखर्च बहुत ज्यादा है। उन्होंने कहा कि पी.डी.एस. में 20 से 25 फ ीसदी लीकेज है। ट्रकों के ट्रक गायब हो जाते हैं। यदि राशन की व्यर्थता और लीकेज खत्म हो जाए तो सरकार को 30,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत होगी। उन्होंने कहा कि फ र्टिलाइजर पर सरकार 70 करोड़ रुपए से अधिक की सबसिडी देती है जिससे बड़ी कंपनियों को फ ायदा होता है। यदि इन दोनों राशियों को मिला लिया जाए तो एक लाख करोड़ रुपए बनते हैं, जिन्हें किसानों को सीधे तौर पर दिया जा सकता है।


प्रदेश की वर्तमान सरकार को विरासत में मिला दिवालियापन
उन्होंने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक 7000 रुपए प्रति एकड़ प्रति किसान भुगतान सरकार उक्त राशि से कर सकती है। हिमाचल प्रदेश की सरकार द्वारा हिमाचल के किसानों को ऐसी राहत देने की बात पर सांसद ने कहा कि प्रदेश की वर्तमान सरकार को दिवालियापन विरासत में मिला है और प्रदेश में ऐसे साधन नहीं हैं, जिनसे कि अन्नदाताओं को सरकार रियायत दे।

Vijay