उन्नाव घटना पर कवि के रूप में छलका शांता कुमार का दर्द, जानिए क्या कहा

Thursday, Dec 12, 2019 - 07:30 PM (IST)

पालमपुर (भृगु): या तो मेरी समझ चूक गई या फिर समझने को कुछ बचा ही नहीं। गुडिय़ा प्रकरण के पश्चात अब शांता कुमार ने उन्नाव प्रकरण को लेकर कुछ इस तरह से अपनी वेदना व्यक्त की है। राजनेता से हटकर इस बार शांता कुमार का दर्द एक कवि के रूप में छलका है। अपने फेसबुक पेज पर शांता कुमार ने इस दर्द को शब्दों में कुछ इस तरह से पिरोया कि न केवल घटना को लेकर शांता कुमार ने सारी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया बल्कि 1 वर्ष तक न्याय के लिए दर-दर भटकती रही उन्नाव प्रकरण की पीड़िता की मौत के पश्चात सरकार द्वारा 25 लाख की धनराशि जारी करने को लेकर उत्तर प्रदेश से सरकार पर भी प्रश्न खड़ा किया है।

बकौल शांता कुमार उन्नाव की दर्दनाक घटना से मन आहत हो गया भावनाएं यूं व्यक्त हो गईं, या तो मेरी समझ से चूक गई या फिर समझने को कुछ बचा ही नहीं सोचता हूं और सोचता ही रहता हूं कुछ भी समझ नहीं आता। उन्नाव के गरीब घर की बेटी इज्जत लुटी दर-दर भटकती रही, कहीं किसी ने सुना नहीं। गरीब थी पर बहादुर थी, हिम्मत नहीं हारी अकेली न्याय के मंदिर को खटखटाया खटखटाती रही, वहीं जा रही थी एक दिन आग से जलाई गई जलते-जलते चलती रही पहुंची कहीं, दिल्ली जाकर दम तोड़ दिया।

जब इज्जत लुटी जली बेटी की लाश पहुंची घर पर पूरा देश रोने लगा धिक्कारने लगा, तब पूरी सरकार पहुंच गई उसके घर पर, दो मंत्री एक भगवे वस्त्रों में सजे संत सांसद 25,00,000 चांदी के ठीकरे लेकर। क्या यही है मूल्य एक गरीब घर की बेटी का, उसकी लाज का, इज्जत का, जिंदगी का। क्या इसी आजादी के लिए हजारों-लाखों देशभक्तों ने फांसी के फंदे को चूमा था सोचते-सोचते चूक जाता हूं थक जाता हूं। या तो मेरी समझ चुक गई या फिर समझने को कुछ बचा ही नहीं सोचता हूं और सोच ही सकता हूं कुछ भी समझ नहीं आता।

Vijay