देश अंग्रेजों से तो मुक्त लेकिन आज भी लोग अंग्रेजियत के गुलाम : शांता कुमार

Sunday, Mar 01, 2020 - 06:07 PM (IST)

सोलन (अमित): पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि भारत को अंग्रेजों से मुक्ति मिल गई लेकिन अभी भी देश के लोग अंग्रेजियत का गुलाम है। उन्होंने कहा कि हिंदी को संयुक्तराष्ट्र की भाषा बनाया जाए क्योंकि देश में हिंदी का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना स्वतंत्रता संग्राम व कांग्रेस का है। सोलन में पत्रकार वार्ता के दौरान शांता कुमार ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी वे मांग करेंगे कि हिन्दी भाषा को राज्य में ज्यादा महत्व दिया जाए। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अधिक से अधिक कार्य हिन्दी में ही करें।

सोलन में चल रहे राष्ट्रीय हिन्दी अधिवेशन में हिस्सा लेने पहुंचे शांता कुमार ने कहा कि हिंदी वहीं भाषा है, जिसके दम पर स्वतंत्रता सेनानियों ने देश से अंग्रेजों को खदेडऩे में सफलता हासिल की थी। उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि हिमाचल प्रदेश के सोलन में करीब 80 साल बाद हिंदी सम्मेलन का आयोजन हुआ है। इससे पहले यह सम्मेलन 110 साल पूर्व शिमला में आयोजित किया गया था। इसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी भाग लिया था। उन्होंने कहा कि यह भी गर्व की बात है कि इस बार राष्ट्रीय स्तर के इस हिंदी सम्मेलन की मेजबानी करने का जिम्मा हिमाचल प्रदेश को मिला है।

उन्होंने कहा कि आज देश को आजाद हुए 72 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन देश को अंग्रेजियत की जंजीरों से अभी भी मुक्ति नहीं मिल पाई है। लोग अभी भी उसके गुलाम हैं। उन्होंने कहा कि वे अंग्रेजी विरोधी नहीं हैं लेकिन जिस तरह से मातृभाषा हिंदी की आजादी के बाद दुर्दशा हुई है उससे वह बेहद व्यथित हंै। उन्होंने कहा कि हिंदी के प्रति और इसमें कामकाज करने में किसी भी प्रकार की हीन भावना नहीं चाहिए। देश लगभग सभी राज्यों में हिंदी को सरलता के साथ बोल, समझा और पढ़ा जाता है। उन्होंने कहा कि देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद करने लिए अंग्रेजों के विरुद्ध जनआंदोलन खड़ा करने और लोगों में राष्ट्र प्रेम जगाने के लिए हिंदी  ने एक मिसाइल के रूप में भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी अपने संदेश में साफ कहा था कि दुनिया को बता दो कि मैं अंग्रेजी भूल गया हूं। लिहाजा देश में हिंदी को उसका स्थान मिलना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 1978 में जब वह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पहली मंत्रिमंडल की बैठक में सभी राजकीय कार्य हिंदी भाषा में करने का ऐलान कर हिंदी को सम्मान देने का प्रयास किया था लेकिन यह प्रयास मुख्यमंत्री पद से हटते ही धूमिल हो गए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि हिंदी को संयुक्तराष्ट्र की भाषा बनाया जाए।

उन्होंने कहा कि संयुक्तराष्ट्र में 6 भाषाओं को मान्यता है, जिसमें हिंदी शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सकारात्मक प्रयासों से ही आज योगा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचान मिली है। ऐसे ही प्रयास यदि मातृभाषा के संरक्षण की दिशा में किए जाए तो हिंदी को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी। हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम से भी उन्होंने आग्रह किया है कि सभी काम काज हिंदी भाषा में किए जाएं।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश हिंदी भाषी प्रदेश हैं तथा यहां लोग हिंदी को बखूबी लिखते और पढ़ते हैं, ऐसे में हिमाचल में सभी राजकीय कार्य हिंदी में करके इसके वनवास को समाप्त किया करें। उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए, लेकिन मातृभाषा से विमुख नहीं होना चहिए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की जनता से भी आग्रह किया है कि वह हिंदी को तरजीह देते हुए सभी कार्य इसी भाषा में करें। बच्चों की शादी ब्याह के कार्ड भी हिंदी में छपवाएं ताकि इस मातृभाषा को स मान मिले।

इस मौके पर हिंदी सम्मेलन में पहुंचे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वराणसी से कुलपति पद से सेवानिवृत प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र ने भी प्रेसवार्ता में हिंदी भाषा के संरक्षण तथा इसके संवद्र्धन की दिशा में किए गए प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सोलन में हुए 3 दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में हिंदी विषय के विभिन्न पहलुओं पर सारगर्पित चर्चा हुई है। इसमें देश के विभिन्न कोनों से साहित्यकारों व लेखकों ने अपने शोध पत्रों को प्रस्तुत किया। साथ ही हिंदी को राजभाषा का स्थान प्रदान करने की पैरवी की गई। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्र अपनी माटी से जुड़ा रहता है वह हमेशा सशक्त रहता है। इस मौके पर पूर्व मंत्री महेंद्रनाथ सोफत,पूर्व शिक्षा मंत्री राधारमन शास्त्री  सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

Vijay