इसलिए शांता निरोग, 85 की उम्र में सवा घंटा योग

Thursday, May 16, 2019 - 01:09 PM (IST)

पालमपुर (मुनीष दीक्षित): शांता कुमार जी तथा उनकी धर्मपत्नी संतोष शैलजा योग करते हुए। भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने चुनाव की राजनीति को अलविदा करने का ऐलान कर दिया है। लेकिन राजनीति में शांता कुमार अभी सक्रि रहेंगे। इस बार के आम चुनाव में शांता कुमार चुनाव लड़वाने का आनंद ले रहे हैं। 85 साल की आयु में भी शांता कुमार में जोश बरकरार है और चुनाव की घोषणा के बाद से ऐसा शायद ही कोई दिन हो, जब शांता कुमार चुनाव प्रचार में न निकले हों। कुछ दिन से शांता कुमार लगातार कांगड़ा, चम्बा, मंडी, कुल्लू व शिमला जिलों के दौरों पर हैं।  

12 घंटे से अधिक समय वह चुनाव प्रचार में दे रहे हैं। प्रचार के दौरान शांता कुमार रोजाना 200 किलोमीटर से अधिक सफर कर रहे हैं। न चेहरे पर कोई थकान, न ही जनसभाओं के दौरान कोई शिकन। पंजाब केसरी टीम ने मंगलवार को उनके साथ उनके पालमपुर स्थित यामिनी परिसर से चुनावी सफर शुरू किया। इस दौरान शांता कुमार ने पालमपुर से लेकर ज्वालामुखी, कांगड़ा, नगरोटा बगवां व धर्मशाला में जनसभाओं व अन्य कार्यक्रमों को संबोधित किया। उनके पूरे दिन की दिनचर्या के मुख्य अंश आपके लिए। 

6 बजे योग के साथ शुरू होती है दिनचर्या 

शांता कुमार अपने दिन की शुरूआत सुबह 6 बजे योग के साथ करते हैं। वह तथा उनकी पत्नी संतोष शैलजा (उम्र 82 साल) घर के ऊपरी मंजिल में बने कमरे में रोजाना 1 घंटा 10 मिनट तक योग करते हैं। योग के साथ-साथ एक पुराने स्टीरियो में आचार्य ओशो की कैसेट के माध्यम से अष्टावक्र गीता व प्रवचन चलता रहता है। शांता कुमार बताते हैं कि यह योग उन्होंने अपने शरीर के माध्यम से चुना है और सभी को योग करना चाहिए, परिणाम खुद व खुद पता लग जाते हैं। सुबह उठने से पहले शांता कुमार सबसे पहले 2 गिलास हल्का गर्म पानी पीते हैं। इसके बाद योग और उसके बाद नींबू व शहद मिला जल का सेवन करते हैं। अखबार की सुॢखयों के बीच शांता कुमार तुलसी के पत्ते के साथ ग्रीन टी पीना पसंद करते हैं और सुबह ब्रेकफास्ट से पहले रात को भिगोए हुए 5 बादाम की गिरी, किशमिश व एक अखरोट की गिरी का सेवन करते हैं। शांता कुमार कहते हैं कि शरीर सबसे पहले है, इसका पूरा ख्याल रखना चाहिए। 

20 साल पहले लगा मोटे फ्रेम का चश्मा ऐसे छूटा

शांता कुमार का यह फोटो करीब 20 साल पहले का है। अगर आप शांता कुमार का फोटो देखें तो उसमें वह एक मोटी फ्रेम का चश्मा लगाए नजर आते हैं लेकिन वह चश्मा अब वह नहीं लगाते। शांता कुमार बताते हैं कि वह आंखों के लिए विशेष योग करते हैं और इसी कारण करीब 20 साल पहले उनका चश्मा उतर गया था।

सभी को मेरा सांसद के रूप में अंतिम प्रणाम 

मंगलवार को शांता कुमार ज्वालामुखी, कांगड़ा, नगरोटा के पटियालकड़ व धर्मशाला में सभाओं और एक कार्यक्रम को संबोधित करते हैं। उनके भाषण को लोग काफी उत्सुकता से सुनते हैं। लेकिन इस बार उनके संबोधन में काफी भावुकता नजर आई। उनके भाषण की अंतिम पंक्तियों को सुनकर हर कोई भावुक हो रहा था। शांता कुमार कह रहे थे कि 66 साल से वह राजनीति में हैं। अब चुनाव की राजनीति को विदा और सभी को मेरा सांसद के रूप में अंतिम प्रणाम। शांता कुमार ने अपने हर कार्यक्रम में समय का पूरा ध्यान रखा। 

मैं नेता नहीं लेखक हो जाऊंगा, आएगी मेरी आत्मकथा 

शांता कुमार बीत रास्ते में अपने राजनीतिक जीवन पर खुलकर बात करते हैं। वह कहते हैं कि बहुत हुआ चुनावी सफर, आज से पहले मैं एक राजनेता था और उसके बाद लेखक था। लेकिन 19 मई के बाद मैं पहले लेखक हो जाऊंगा, उसके बाद मैं एक राजनेता रहूंगा। लेखक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मेरी प्राथमिकता होगी और मैं अपने मन की बात खुले रूप से कह सकूंगा। अपने जीवन पर कोई पुस्तक लिखने पर शांता कुमार कहते हैं कि हां जरूर, मैं अपनी आत्मकथा लिख रहा हूं, 6 माह तक शायद यह पुस्तक आ जाए, इस किताब में कई ऐसी बातें भी होंगी, जो शायद अभी तक सामने नहीं आ पाई हैं। 

20 साल पहले लगा मोटे फ्रेम का चश्मा ऐसे छूटा

शांता कुमार का यह फोटो करीब 20 साल पहले का है। अगर आप शांता कुमार का फोटो देखें तो उसमें वह एक मोटी फ्रेम का चश्मा लगाए नजर आते हैं लेकिन वह चश्मा अब वह नहीं लगाते। शांता कुमार बताते हैं कि वह आंखों के लिए विशेष योग करते हैं और इसी कारण करीब 20 साल पहले उनका चश्मा उतर गया था।

गांधी परिवार के प्रभाव से बाहर निकले कांग्रेस 

शांता कुमार भी मानते हैं कि इस चुनाव में आम मुद्दों से अधिक व्यर्थ की बातों पर अधिक चर्चा हो रही है। वह कहते हैं कि इसका सबसे बड़ा कारण देश में सशक्त विपक्ष का न होना है। विपक्ष अभी तक कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं उठा पाया है, जिसे देश की जनता से जुड़ा हुआ मुद्दा माना जाए। वह चाहते हैं कि कांग्रेस गांधी परिवार के प्रभाव से बाहर निकले, क्योंकि यही ऑल इंडिया की एक पार्टी है जो सत्ता पक्ष के मुकाबले है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सशक्त न हो पाने के कारण ही बुनियादी मुद्दों पर इन चुनावों में चर्चा नहीं हो पा रही। यह राजनीति की अपरिपक्वता है और चर्चा मुद्दों पर अधिक होनी चाहिए।

स्टाफ का रखते हैं ख्याल

मंगलवार को शांता कुमार सुबह 8 बजे तैयार हो गए थे। उनके निजी सचिव नरेश आचार्य ने उनके समक्ष दिन के दौरे व जनसभाओं की रूपरेखा रखी। इसी बीच शांता कुमार अपने एक कर्मी को अपने लिए, अपने निजी स्टाफ  सहित उनकी सुरक्षा में लगे स्टाफ  के लिए लंच पैक करने को कहते हैं। मगर उन्हें बताया जाता है कि लंच का प्रबंध रास्ते में ही है। पूछे जाने पर शांता कुमार कहते हैं कि मेरे लिए मेरा सारा स्टाफ  भी महत्वपूर्ण है। 

पंजाब केसरी से पुराना नाता 

शांता कुमार कहते हैं कि पंजाब केसरी को मैं रोजाना पढ़ता हूं और आज से नहीं, कई सालों से। पंजाब केसरी से मेरा पुराना नाता रहा है। एमरजैंसी के समय से भी पहले से। पंजाब केसरी न केवल लोगों की समस्याओं को सामने रखता है, बल्कि एक निर्भीक पत्रकारिता भी करता है और करता आया है। 

विश्रान्ति के लिए देंगे अधिक समय 

शांता कुमार कहते हैं कि अब वो अधिक समय अपनी लेखनी व कायाकल्प के समीप करीब 11 करोड़ से बनाए जा रहे वरिष्ठ नागरिक सदन विश्रान्ति के निर्माण के लिए देंगे। इसका कार्य शुरू हो चुका है और इसमें 100 वृद्धों के रहने की व्यवस्था होगी। 

Ekta