पक्ष-विपक्ष के मध्य आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से शांता कुमार आहत

Monday, Jan 21, 2019 - 09:19 AM (IST)

पालमपुर (भृगु): पक्ष-विपक्ष के मध्य आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से आहत शांता कुमार ने कहा कि यदि वह भी केजरीवाल की तरह प्रधानमंत्री तथा केंद्र सरकार की आलोचना करते रहते तो न तो हिमाचल को पानी की रॉयल्टी मिलती और न ही निजी क्षेत्र में विद्युत परियोजनाएं लगने का मार्ग प्रशस्त होता। शांता कुमार ने कहा कि वर्तमान में राजनीति टकराव और विरोध की राजनीति बनकर रह गई है तथा लोकतंत्र के दोपहिये पक्ष तथा विपक्ष एक-दूसरे के लिए ब्रेक का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल की परंपरा परस्पर सहयोग की रही है, इसी के चलते उन्होंने भी सदा शालीनता की राजनीति की, जिसके बलबूते वह हिमाचल के लिए कई बड़ी उपलब्धियां प्राप्त करने में सफल रहे। 

उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को लाने का प्रस्ताव उन्होंने रखा, परंतु केंद्रीय विद्युत अधिनियम के अनुसार 5 मैगावाट से अधिक की परियोजनाएं निजी क्षेत्र में नहीं लग सकती थीं, जिस पर उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार के वित्त मंत्री डा. मनमोहन सिंह के समक्ष इस मामले को रखा तथा उनके आग्रह पर केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 1 माह की अवधि में कानून को बदला तथा देश के इतिहास में पहली बार वासपा परियोजना हिमाचल में निजी क्षेत्र में आरंभ की गई। उन्होंने कहा कि इसका प्रारंभ हिमाचल की भारतीय जनता पार्टी सरकार के आग्रह पर केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया।

इसी प्रकार प्रदेश को पानी की रॉयल्टी दिलवाने को लेकर नरसिम्हा राव ने उनकी बात को गंभीरता से सुना तथा कमलनाथ राय को इस दिशा में आवश्यक पग उठाने को कहा। उन्होंने कहा कि इसके चलते ही केंद्र तथा हिमाचल सरकार में समझौता हुआ तथा हिमाचल को विद्युत परियोजनाओं पर 12 प्रतिशत की रॉयल्टी मिलने लगी। उन्होंने कहा कि आज उसी निर्णय के परिणामस्वरूप 3000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष हिमाचल को आय प्राप्त हो रही है।

नरसिम्हा राव ने कहा था-राजनीतिक दलों की सरकारें होती हैं, परंतु सरकारों की कोई पार्टी नहीं होती

शांता ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से जब वे मिले और उन्होंने कहा कि मैं बी.जे.पी. का मुख्यमंत्री हूं, जिस पर नरसिम्हा राव नाराज हो गए तथा गंभीरता से कहा कि राजनीतिक दलों की सरकारें होती हैं, परंतु सरकारों की कोई पार्टी नहीं होती तथा गंभीरता से उनकी बात को सुना, जिसके परिणामस्वरूप हिमाचल को रॉयल्टी मिलनी आरंभ हुई। उन्होंने हिमाचल के सभी राजनीतिक नेताओं से आग्रह किया है कि परस्पर टकराव तथा विरोध के लिए विरोध की राजनीति न कर सहयोग की राजनीति करें, ताकि हिमाचल को विकास की ओर ले जाया जा सके।






 

Ekta