चुनावी राजनीति से तौबा कर चुके शांता कुमार ने लिया एक और बड़ा निर्णय

punjabkesari.in Sunday, Nov 14, 2021 - 11:24 PM (IST)

पालमपुर (भृगु): 60 वर्ष के लंबे अंतराल तक देश तथा प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे शांता कुमार ने अब सक्रिय राजनीति से भी किनारा करने का निर्णय लिया है। पहले ही चुनावी राजनीति से तौबा कर चुके शांता कुमार ने अपनी आत्मकथा निज पथ का अविचल पंथी के अंग्रेजी संस्करण लिविंग माई कनविक्शंज के विमोचन अवसर पर यह बात कही। प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने शांता कुमार चुनावी राजनीति से किनारा करने के बाद से यदा-कदा भाजपा की बैठकों तथा कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं।

उपचुनाव में कुछ स्थानों पर की थीं चुनावी जनसभाएं

प्रदेश में हाल ही में हुए उपचुनाव में भी शांता कुमार ने भाजपा के पक्ष में कुछ स्थानों पर चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया था परंतु अब शांता कुमार ने न केवल सक्रिय राजनीति से निवृत्त होने अपितु साहित्यिक जीवन से भी निवृत्त होकर शेष जीवन विवेकानंद के चरणों में अर्पित करने का संकल्प लिया है। पुस्तक के विमोचन अवसर पर शांता कुमार ने यह संकल्प लेते हुए कहा कि अब उनका शेष जीवन कायाकल्प, विवेकानंद चिकित्सा संस्थान तथा वरिष्ठ नागरिक सदन विश्रांति के लिए समर्पित रहेगा।

कोर कमेटी की बैठक लिया था एक दिन के लिए भाग

शांता कुमार ने बड़े नेताओं के आग्रह पर धर्मशाला में कोर कमेटी की बैठक में भी एक दिन के लिए भाग लिया था, ऐसे में माना जा रहा था कि शांता कुमार के अनुभव को पार्टी मिशन रिपीट के लिए बनाएगी। यद्यपि शांता कुमार ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या आने वाले विधानसभा चुनाव में वह पार्टी के लिए कार्य करेंगे या नहीं। शांता कुमार ने राजनीति की सक्रियता से पूरी तरह से अपने को अलग करने की बात अवश्य कही है।

प्रदेश के सबसे वरिष्ठ राजनेताओं में से एक हैं शांता

वर्तमान में शांता कुमार प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में सबसे वरिष्ठ राजनेताओं में से एक हैं। मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी शांता कुमार ने 85 वर्ष की आयु में 58 रैलियां कर अपना दमखम दिखाया था। उस समय उन्होंने चारों संसदीय क्षेत्रों में जनसभाओं को संबोधित किया था तो दुर्गम क्षेत्र तीसा तथा भरमौर तक पहुंचकर भाजपा के पक्ष में जनमत जुटाया था।

पंच से राष्ट्रसंघ तक बनाई पहुंच

वर्ष 1963 में गढ़-जमूला पंचायत में पंच से अपना राजनीतिक जीवन आरंभ करने वाले शांता कुमार इसके पश्चात भवारना पंचायत समिति के सदस्य चुने गए तथा 1965 से 1970 तक वह जिला परिषद के अध्यक्ष रहे। पहली बार 1972 में विधायक बने शांता कुमार 1977 में पहली बार मुख्यमंत्री बने, जिसके पश्चात 1990 में उन्होंने पुन: मुख्यमंत्री का पदभार संभाला। वर्ष 1989 में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए। इसके पश्चात 1998 तथा 1999 में भी वह लोकसभा के लिए चुने गए तथा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 1999 से 2004 तक मंत्री रहे। वर्ष 2008 में शांता कुमार राज्यसभा के लिए चुने गए, जबकि 2014 में वह कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य बने। शांता कुमार विश्व की सबसे बड़ी संसद राष्ट्रसंघ में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

पूरा जीवन जी भरकर व शान से जिया

बकौल शांता कुमार पूरा जीवन जी भरकर व शान से जिया, कोई शिकवा नहीं, कोई मलाल नहीं। क्या नहीं दिया भगवान ने, पार्टी ने व लोगों ने। पंच से संसद तथा राष्ट्रसंघ तक प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। पूर्ण संतुष्ट हूं किसी से कोई गिला व मलाल नहीं। आज का दिन संकल्प का दिन है। 60 वर्ष की सक्रिय राजनीति से निवृत्त होकर विवेकानंद के चरणों में शेष जीवन लगाऊंगा। साहित्यिक जीवन का भी यह अंतिम कार्यक्रम है।

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vijay

Recommended News

Related News