‘आम’ की फसल पर मौसम की मार, किसानों को सताने लगी है चिंता

Friday, Jul 07, 2017 - 04:38 PM (IST)

घुमारवीं : बिलासपुर जिले में इस बार आम की फसल तबाह हो गई है। आम की फसल के लिए माने जाने वाले इस जिले में इस बार लोकल लेवल पर अचार व आम लोगों के घरों में खाने के लिए मिलने वाले आमों का बड़ा अकाल देखने को मिल रहा है। इसका सीधा फायदा जिले के भीतर बाहरी राज्यों से आ रहे आम की मांग बढऩे के कारण वहां के उत्पादकों को हो रहा है। साथ ही जिले के सब्जी विक्रेताओं ने भी इस बार आम के फलों के रेट दुगने से चार गुणे करके भेजना शुरू कर दिए हैं। इस पर सरकार की ओर से कीमत नियंत्रण के लिए तय किए गए विभागों व जिले के प्रशासन का भी कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। उद्यान विभाग की ओर से जिले के तमाम आम की फसल वाले इलाकों में करवाए गए सर्वेक्षणों में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस बार जिले में हर साल होने वाली फसल का चौथा हिस्सा भी उत्पादन नहीं हुआ है। खुद विभाग के बागीचों में भी इस बार बेहद कम उत्पादन हुआ है जिससे हर साल होने वाली लाखों की आमदनी कुछ हजारों में आकर रुक गई है। उद्यान विभाग के उपनिदेशक एस.के. गोयल ने कहा है कि यह बेहद ङ्क्षचताजनक है लेकिन इसे विभाग एक प्राकृतिक आपदा के रूप में देख रहा है। इस बार मौसम की विपरीत मार ने किसानों को बड़ी क्षति पहुंचाई है। इस बारे में प्रदेश सरकार को अवगत करवा दिया गया है।
 

3 से 4 हजार मीट्रिक टन आम की होती थी फसल
डा. गोयल ने यहां बताया कि बिलासपुर जिले में लीची, सेब व खुमानी आदि फल उस मात्रा में नहीं होते हैं लेकिन आम की फसल के लिए बिलासपुर जिला का मौसम उपयुक्त माना जाता है। डा. गोयल बताते हैं कि बिलासपुर जिले में हर वर्ष 3 से 4 हजार मीट्रिक टन आम की फसल हुआ करती थी और विभाग के ही निहारी व दूसरे स्थानों पर स्थित आम के बागीचों में बड़े पैमाने पर आम का उत्पादन हुआ करता था लेकिन इस बार ऑफ  सीजन में फ्लावरिंग होने के कारण प्रतिकूल मौसम में हालात ऐसे बने कि आम या तो टिक नहीं पाए या फिर इनकी फ्लावरिंग ही पौधे पर नहीं टिक पाई।

800 मीट्रिक टन ही आम की पैदावार 
वर्तमान में उन्होंने जिले भर में अपने मातहत अधिकारियों व कर्मचारियों से सर्वेक्षण करवाए तो उन्होंने रिपोर्ट दी है कि बड़ी मुश्किल से जिले में कहीं 800 मीट्रिक टन ही आम की पैदावार इस बार होगी जोकि चार गुणा कम होगी। साथ ही विभाग के बागीचों की नीलामी से इस बार विभाग की आमदनी 1 लाख रुपए भी नहीं पहुंची है जबकि हर बार यह आय लाखों रुपए हुआ करती थी। जिले में आम की फसल इस बार कम होने के कारण आम की कीमत में बेतहाशा बढ़ौतरी दर्ज की जा रही है। फसल झडऩे से क्षेत्र के बागवान मायूस हैं। उनका कहना है कि आम उनकी अच्छी आमदनी का साधन था।