हिमाचल में वन माफिया पर ऐसे कसेगा शिकंजा, जानने के लिए पढ़ें खबर

Thursday, Feb 15, 2018 - 12:44 AM (IST)

शिमला: सूबे में अमूल्य वन संपदा को तस्करों से बचाने के लिए सरकार बूम बैरियर लगाने की योजना तैयार कर रही है। प्रथम चरण में तस्करी की दृष्टि से संवेदनशील व अतिसंवेदनशील क्षेत्रों की सड़कों में इन्हें लगाया जाएगा। आने वाले कुछ सालों में बजट की उपलब्धता के हिसाब से सरकार अन्य क्षेत्रों में भी बूम बैरियर लगाने पर विचार कर रही है। इसे लेकर वन मंत्री ने विभाग को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दे दिए हैं। बूम बैरियर लगाने से वन माफिया पर शिकंजा कसा जा सकेगा।   

हिमाचल में हैं 2068 वन बीट
हिमाचल में 2068 वन बीट बताई जा रही हैं। इनमें से 593 बीट अतिसंवेदनशील और 822 संवेदनशील हैं। संवेदनशील और अतिसंवेदनशील बीटों में वन रक्षक भी अपनी ड्यूटी देने से कतराते हैं। वन रक्षक होशियार सिंह की हत्या, नाहन में वन कर्मियों पर गोली चलाने, कोटी रेंज में वन कर्मियों को माफिया की धमकी और चौपाल में सिडार मामला सामने आने के बाद वन कर्मी ज्यादा असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, ऐसे में बूम बैरियर एक तरह से वन कर्मियों की वन तस्करी रोकने में मदद करेंगे। 

एक माह में लकड़ी की तस्करी के डेढ़ दर्जन मामले 
बीते एक माह में ही लकड़ी की तस्करी केकरीब डेढ़ दर्जन मामले सामने आए हैं। अकेले शिमला के कोटी रेंज में देवदार, चीड़ और बान के 416 पेड़, बड़सर में 490 पेड़, चौपाल में करीब 20 हजार लीटर सिडार वुड ऑयल, कोटखाई में करीब 150 स्लीपर के अलावा सुन्नी, चिंतपूर्णी, नालागढ़, ऊना, मनाली और करसोग में बड़ी मात्रा में लकड़ी तस्करी के धंधे को वन विभाग ने बेनकाब किया है।  


मानव चलित डिवाइस है बूम बैरियर
बूम बैरियर ऐसा डिवाइस है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा किया जाता है। आबकारी विभाग टैक्स की वसूली के लिए बूम बैरियर लगाता है। बूम बैरियर लगाकर विभिन्न वाहन टैक्स वसूली के लिए रोके जाते हैं, जबकि पुलिस महकमा विभिन्न वॢजत व प्रतिबंधित सड़कों पर इसका इस्तेमाल करता है। यह डिवाइस मानव चलित है। यानि पुलिस और आबकारी विभाग के कर्मचारी बटन दबाकर बूम बैरियर को खोलकर वाहनों को आगे जाने की अनुमति देते हैं। ठीक इसी तरह वन विभाग भी वन माफिया पर शिकंजा कसनेको बूम बैरियर प्लान कर रहा है।