हे भगवान, स्कूल में 2 छात्रों के लिए 2 अध्यापक

Sunday, Dec 04, 2016 - 03:52 PM (IST)

सोलन (पाल): हिमाचल में सोलन जिले के 12 प्राथमिक पाठशालाओं मेें छात्रों की संख्या 5 या इससे कम है। इन छात्रों को पढ़ाने के लिए स्कूलों में 2-2 अध्यापकों की नियुक्ति की गई है। 3 स्कूल तो ऐसे है, जिसमें छात्रों की संख्या केवल 2 ही है लेकिन सरकार ने इन छात्रों को पढ़ाने के लिए 2-2 अध्यापक नियुक्त किए हैं। जिला के दूरदराज क्षेत्रों में ऐसे कई स्कूल हैं जहां पर छात्रों की संख्या काफी अधिक है लेकिन अध्यापकों की नियुक्ति शिक्षक-छात्र अनुपात नहीं है। इसके अनुसार 30 छात्रों की संख्या पर 1 तथा 60 छात्रों की संख्या पर 2 अध्यापक नियुक्त करने का प्रावधान है। इस अनुपात में अध्यापकों की नियुक्ति होती है। जिला के 12 स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात को ठेंगा दिखाया जा रहा है। 


डाईट के आंकड़ों के अनुसार शिक्षा खंड धर्मपुर के प्राथमिक पाठशाला कठनी में 2 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक हैं या यूं कहे कि एक छात्र को पढ़ाने के लिए एक अध्यापक है। धर्मपुर शिक्षा खंड की प्राथमिक पाठशाला शडयाना में 3 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक हैं। धर्मपुर शिक्षा खंड की प्राथमिक पाठशाला क्यार में छात्रों की संख्या 5 है और वहां पर भी 2 अध्यापकों की नियुक्ति की गई है। शिक्षा खंड कुठाड़ की जोल प्राथमिक पाठशाला में 5 छात्रों पर 2 अध्यापक हैं। शिक्षा खंड कुठाड़ की प्राथमिक पाठशाला नयानगर में 5 छात्रों को 2 अध्यापक पढ़ा रहे हैं। 


इसी तरह शिक्षा खंड कुठाड़ की प्राथमिक पाठशाला रौड़ी में 5 छात्रों को पढ़ाने के लिए केवल 1 अध्यापक है। शिक्षा कंडाघाट की प्राथमिक पाठशाला जखडियों में छात्रों की संख्या केवल 2 है और अध्यापक भी 2 ही नियुक्त हैं। शिक्षा खंड धुन्धन के मटरेच में 2 अध्यापक 5 बच्चों को पढ़ा रहे हैं। शिक्षा खंड धुन्धन की ही बोही प्राथमिक पाठशाला में 3 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक कार्यरत हैं। अर्की शिक्षा खंड की प्राथमिक पाठशाला सुजायला का भी यही हाल है। इस पाठशाला में भी केवल 3 ही छात्र हैं और इन्हें पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक सेवाएं दे रहे हैं। शिक्षा खंड रामशहर की जामन को डोरा प्राथमिक पाठशाला में 5 छात्रों को पढ़ाने के लिए जहां एक अध्यापक है, वहीं प्राथमिक पाठशाला महमला में 4 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2 अध्यापक हैं।  5 या इससे कम छात्रों की संख्या वाले स्कूलों में आवश्यकता से अधिक अध्यापकों की नियुक्ति करने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।