हादसे के 23 दिन बाद खुला बजीर राम सिंह पठानिया मैमोरियल पब्लिक स्कूल, बच्चों ने ऐसे किया प्रवेश

Wednesday, May 02, 2018 - 07:24 PM (IST)

नूरपुर: अभिभावकों के दबाव के आगे बजीर राम सिंह पठानिया स्कूल प्रबंधन आखिरकार झुक गया। चेली हादसे के 23 दिन बीतने के बाद बजीर राम सिंह पठानिया मैमोरियल पब्लिक स्कूल में एक बार फिर रौनक लौट आई। फिर एक बार स्कूल का प्रांगण बच्चों की चहचहाहट व किलकारियों से गूंज उठा। 23 दिनों से वीरान प्रांगण फिर हरा-भरा हो गया। 9 अप्रैल को हुए हृदय विदारक हादसे में 23 बच्चों की मौत की पीड़ा तथा बिछुडऩे का गम अपने अंदर छिपाए स्कूल प्रांगण आज 23 दिन बाद बच्चों की मौजूदगी तथा अठखेलियों से कुछ राहत में दिख रहा था। इस हादसे में कई अभिभावकों ने अपने मासूम बच्चे खोए थे तो इस स्कूल ने भी 23 बच्चों को अचानक खो दिया था, जिनकी रोज की शरारतों तथा अठखेलियों का गवाह वो बनता था। शिक्षा का यह मंदिर 23 बच्चों की मौत से गमगीन तो जरूर था लेकिन कई दिनों से अन्य बच्चों के दीदार के लिए शायद तरस रहा था। बुधवार को स्कूल में करीब 100 छात्र पहुंचे तो कुछ छात्र प्रार्थना सभा के बाद भी पहुंचे।


स्कूल की भूमि को नमन कर किया बच्चों ने प्रवेश
बुधवार सुबह के पौने 9 बजते ही स्कूल में बच्चों का प्रवेश शुरू हुआ। अधिकतर बच्चे स्कूल में दाखिल होने से पहले गेट पर भूमि को नमन करके आगे बढ़ते देखे गए। ऐसा लग रहा था कि बच्चे किसी संस्थान में नहीं बल्कि शिक्षा के मंदिर में दाखिल हो रहे थे। कुछ बच्चे स्कूल के गेट को भी पूजते और चूमते देखे गए। 23 दिन बाद स्कूल में वापस लौट रहे बच्चों में गजब का उत्साह भी था तथा अपने-अपने साथियों को खोने की पीड़ा भी। प्रार्थना सभा से पहले कुछ छात्र एक-दूसरे की कक्षाओं में बैठ कर मस्ती करते देखे गए। कुछ स्कूल प्रांगण में अपने दोस्तों के साथ अठखेलियों में मस्त देखे गए। उसके बाद 9 बजते ही प्रार्थना के लिए सभी बच्चे एकत्रित हुए तथा अनुशासन से अपनी-अपनी कक्षाओं में चले गए। वहीं दूसरी तरफ  स्कूल में मौजूद अध्यापकों के चेहरों के हाव-भाव कुछ शांत थे क्योंकि उन्होंने भी अपने कई होनहार छात्र हमेशा के लिए खो दिए थे।


176 में से अब रह गए सिर्फ 100 छात्र
स्कूल के चेयरमैन दलजीत पठानिया रोजाना की तरह बच्चों का गेट पर इंतजार कर रहे थे। उनका कहना था कि यह स्कूल सिर्फ  इसी उद्देश्य से खोला गया था कि इसको व्यापार नहीं बल्कि शिक्षा का मंदिर बनाया जाए। उन्होंने कहा कि 23 बच्चे खोने के बाद स्कूल प्रबंधन ने तो सोच लिया था कि स्कूल अब कभी नहीं खोलेंगे लेकिन अभिभावकों के जोर के आगे झुकना पड़ा। उन्होंने कहा कि स्कूल में 9 अप्रैल तक 176 बच्चे थे जबकि अब 100 के करीब रह गए है। बस खोने के कारण कुछ गांवों में स्कूल की बस नहीं जाएगी, जिस कारण कुछ बच्चों ने दूसरे स्कूलों में दाखिला ले लिया है।


अब इस स्कूल में नहीं पढ़ेगा रणवीर
जानकारी अनुसार यह भी पता चला कि चेली हादसे का एकमात्र चश्मदीद गवाह रणवीर जोकि हादसे के समय बस की खिड़की से बाहर निकल गया था, अब इस स्कूल में नहीं पढ़ेगा, क्योंकि इस स्कूल की एकमात्र बस जो उसके गांव जाती थी, वो बस ही खाई में गिर गई।


दोस्तों के साथ मस्ती भी, दोस्त खोने का दुख भी
5वीं कक्षा के ईशान ने बताया कि बहुत दिनों के बाद स्कूल में आकर अच्छा लग रहा है। उसने बताया कि बहुत दिनों से दोस्त नहीं मिले थे। दोस्तों के साथ अच्छा लगता है। चौथी कक्षा की नलिनी ने बताया कि स्कूल में छुट्टियां होने के चलते वो घर में पढ़ रही थी। उसने कहा कि स्कूल में आकर अच्छा लग रहा है लेकिन कई सहपाठी बिछुड़ गए, जो बहुत बुरा है। छठी कक्षा के अखिल का कहना है कि उसने जब छठी में दाखिला लिया था, उसी दिन बस गिर गई। उसके बाद वह आज स्कूल आया।


7वीं कक्षा के पीयूष का कहना है कि उसने इस हादसे में अपने 2 दोस्त खो दिए, जो बहुत बुरा हुआ। उसने कहा कि स्कूल में पढ़ाई बहुत अच्छी है, पूरा मन लगाकर पढ़ेंगे तथा दोस्तों के साथ मस्ती भी करेंगे। जब बच्चों से पूछा गया कि स्कूल में दाखिल होने से पहले भूमि को नमन किस कारण से करते हैं तो बच्चों का जवाब था कि ऐसा इसलिए करते हैं कि हम सब अच्छा पढ़ें। 

Vijay