89 फीसदी स्कूली बसों व वैनों में सुरक्षित नहीं हैं बच्चे

Friday, May 17, 2019 - 11:54 AM (IST)

धर्मशाला (पूजा): प्रदेश में सभी यात्री वाहनों में पिछली सीट पर बैठने वालों को सीट बैल्ट के उपयोग को अनिवार्य बनाए जाने के बावजूद करीब 89 फीसदी स्कूल बसों और वैन में बच्चों के लिए सीट बैल्ट नहीं हैं। 89 स्कूली बसों में बच्चों के लिए सीट बैल्ट के न होने का खुलासा एक सर्वे की रिपोर्ट में हुआ है। सर्वेक्षण रिपोर्ट में हुए खुलासे से यह स्पष्ट हुआ है कि जिला कांगड़ा में जितनी भी स्कूल बसें या अन्य स्कूल वाहन हैं उनमें न तो आगे और न ही पीछेे सीट बैल्ट लगी हुई हैं।

सीट बैल्ट न होना स्कूली बच्चों की जान पर भारी पड़ रहा है। जागरूकता की कमी राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा के मद्देनजर जारी रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि सीट बैल्ट के उपयोग को अनिवार्य बनाने के कानून होने के बावजूद इसके लिए जागरूकता बहुत कम है, जिसकी वजह से यह ज्यादा प्रभावी नहीं है। स्कूल बसों में सीट बैल्ट के उपयोग से दुर्घटना में बच्चों को चोट लगने की संभावना कम हो जाती है। जिला कांगड़ा में हुई स्कूल बस दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2015 से 2019 में 16 स्कूल बसें दुर्घटनाग्रस्त हुई हैं और इन स्कूल बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने से 32 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोने पड़े और 62 बच्चे घायल हुए। सर्वेक्षण में शामिल 91.4 प्रतिशत लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक सख्त सड़क सुरक्षा कानून बनाने की आवश्यकता बताई है।

स्कूल बसों का किया सर्वे जिला कांगड़ा में 350 निजी स्कूल हैं और 600 के करीब स्कूली वाहन। जिला के निजी स्कूली वाहनों में से 50 स्कूल बसों सहित वैन का सर्वे किया गया। सर्वे के दौरान उक्त 50 बसों सहित वैनों में पीछे बच्चों के लिए सीट बैल्ट का प्रावधान नहीं था। इतना ही नहीं स्कूली वाहनों में वाहन चालकों के लिए किए गए सीट बैल्ट के प्रावधान के बावजूद चालकों को बिना सीट बैल्ट के वाहन चलाते पाया गया।
 

kirti