छात्रवृत्ति घोटाला मामला: CBI जांच के डर से बिल से बाहर निकले निजी संस्थान

Sunday, Sep 02, 2018 - 11:50 AM (IST)

शिमला: छात्रवृत्ति घोटाले में सी.बी.आई. की जांच के डर से निजी शिक्षण संस्थान अब अपने बचाव में स्पष्टीकरण पत्र जारी कर रहे हैं जिसमें निजी शिक्षण संस्थान सरकार से सी.बी.आई. जांच न करवा कर राज्य में किसी एजैंसी से जांच की मांग कर रहे हैं। शनिवार को इस संबंध में अज्ञात पत्र जारी हुआ है जो मीडिया के साथ-साथ सरकार को भी भेजा गया है। इसके जरिए निजी शिक्षण संस्थानों ने सरकार से मामले पर उनका पक्ष सुनने का आग्रह किया है। पत्र में लिखा गया है कि संस्थानों को अभी तक वर्ष 2016-17 की छात्रवृत्ति राशि नहीं मिली है। 

इसके साथ अभी पिछले कई वर्षों की राशि इसमें पैंडिंग है, जो संस्थानों को नहीं मिली है। पत्र में संस्थानों ने सभी आरोपों को निराधार बताया है। शिक्षा सचिव डा. अरुण शर्मा ने बताया कि निजी शिक्षण संस्थानों ने मामले पर एक स्पष्टीकरण पत्र भेजा है, जो शनिवार को मुझे मिला है। उस पत्र में निजी शिक्षण संस्थानों ने मामले पर सफाई दी है और यह मामला सी.बी.आई. को देने की बजाय प्रदेश की जांच एजैंसी को देने को कहा है। शिक्षा सचिव का कहना है कि यदि छात्रवृत्ति राशि में गड़बड़ी नहीं हुई तो शिक्षण संस्थान सी.बी.आई. जांच से क्यों डर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब यह जांच सी.बी.आई. द्वारा ही करवाई जाएगी।

स्कॉलरशिप इंचार्ज का दिया जाता है मोबाइल नम्बर
पत्र के माध्यम से निजी शिक्षण संस्थानों ने स्पष्ट किया है कि सभी संस्थानों में स्कॉलरशिप इंचार्ज ही छात्रों के छात्रवृत्ति फार्म भरने में मदद करता है। छात्रों के पास मोबाइल न होने के कारण इस दौरान स्कॉलरशिप इंचार्ज का फोन नम्बर इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही छात्रों के बैंक खाते को लेकर जारी स्पष्टीकरण में कहा गया है कि छात्र कहीं भी अपना खाता खोल सकता है, इसके लिए वे स्वतंत्र हैं। हालांकि संस्थानों ने एक ही बैंक में इसलिए छात्रों के खाते खोले ताकि आवेदन करते समय छात्रों को खाता नम्बर व आई.एफ.एस.सी. कोड देने में दिक्कत न हो। इसके अलावा पत्र के माध्यम से संस्थानों ने सरकार को स्पष्ट किया कि भारत सरकार भी बिना आधार के छात्रों के छात्रवृत्ति आवेदन स्वीकार कर रही है। हालांकि इस वर्ष और बीते वर्ष ई.आई.डी. से भी आवेदन लिए गए हैं।
 

Ekta