अनुसूचित जाति से संबंधित 669 बच्चे स्कूलों से दूर, जानिए वजह

punjabkesari.in Monday, May 29, 2017 - 03:37 PM (IST)

चंबा: सरकार ने चंबा में साक्षरता दर को बढ़ाने के साथ-साथ असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए पिछले कई वर्षों से विभिन्न कार्यक्रम चला रखे हैं। इन योजनाओं के बावजूद जिला में अभी तक अनुसूचित जाति से संबंधित 669 ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने अभी तक सरकारी स्कूलों की तरफ रुख ही नहीं किया है। यह खुलासा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत करवाए गए सर्वे में हुआ है। यह बात नि:सन्देह चिंता का विषय है क्योंकि एक तरफ हर साल सरकार शिक्षा की मुख्यधारा से अलग-थलग पड़े बच्चों को शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए दिल खोलकर पैसे खर्च कर रही है तो साथ ही सरकारी स्कूलों की तरफ इसको आकर्षित करने के लिए वह मिड-डे मील, वर्दी तथा किताबों को मुफ्त में मुहैया करवा रही है। इसके बावजूद समाज के पिछड़े बच्चे इतनी अधिक संख्या में अनपढ़ता की तरफ कदम बढ़ाए हुए हैं। यह सर्वे राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा द्वारा 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों व युवाओं पर किया गया है।


हैरानी की बात है कि 6 से 8 वर्ष तक के ऐसे 44 बच्चे हैं जो कि स्कूल नहीं जाते हैं। इसमें 25 लड़कियां तो 19 लड़के शामिल हैं। 11 से 14 वर्ष की आयु के वर्ग पर नजर दौड़ाई जाए तो शिक्षा से अलग होने वाली लड़कियों का यह आंकड़ा बढ़ कर 104 तो लड़कों का आंकड़ा 87 तक पहुंच गया है। 15 से 18 वर्ष की आयु के वर्ग को देखे तो अनुसूचित जाति वर्ग की 239 लड़कियां तो 195 लड़के शिक्षा से दूर हो चुके हैं। यह आंकड़े 'बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ' अभियान के भी विपरीत नजर आते हैं। यानी जिला प्रशासन भले इस स्लोगल को हर मंच पर दोहराए या फिर लोगों को याद करवाए लेकिन वास्तविकता क्या है उसका आभास यह सरकारी आंकड़े बखूबी करवाते हैं। इन आंकड़ों को लेकर सरकार व जिला प्रशासन को गंभीरता दिखानी होगी ताकि समाज के पिछड़े अनुसूचित जाति वर्ग से संबंध रखने वाले इन बच्चों को अशिक्षा के अंधेरे से बाहर निकालकर उनके जीवन में शिक्षा का दीपक जलाया जाए ताकि समाज की मुख्यधारा के साथ यह बच्चे जुड़ सके।  


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