मुझे मेरी पत्नी से बचाओ, एक पति की दर्द भरी गुहार

Wednesday, Aug 01, 2018 - 11:40 AM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र शर्मा): कोई तो मेरी मदद करो। न तो पुलिस में कोई सुनवाई हो रही है और न ही कोई ऐसा मंच है जहां मैं अपनी आवाज बुलंद कर सकूं। साहिब मैं अपनी पत्नी से इसलिए परेशान हूं कि उसके किसी और से संबंध हैं। जब इसके खिलाफ आवाज उठाता हूं तो उलटे मुझे ही मार खानी पड़ती है। बच्चों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। रंगे हाथों पकड़ने के बावजूद भी कोई मुझ पर विश्वास नहीं कर रहा है। एक पत्नी पीड़ित पति कहते हैं कि वह अपनी फरियाद लेकर पुलिस के आला अफसरों के पास भी फरियाद कर चुके हैं परन्तु तमाम कानून महिलाओं के पक्ष में हैं, ऐसे में मैं जाऊं भी तो कहां?


एक अन्य पति दास्तां सुनाता है कि उसकी पत्नी एक संभ्रांत व्यक्ति के साथ मेरे सामने उसकी गाड़ी में सवार होकर चली जाती है। इसके कुछ प्रमाण भी मेरे पास मौजूद हैं। घर में आवाज उठाता हूं तो उलटे फंसाने की धमकियां मिलती हैं। जीवन मानों नरक सा हो गया है। ऐसे हालात में मैं करूं भी तो क्या? फरियाद लेकर पहुंचे पति ने कहा कि  डिजिटल प्रमाण एकत्रित कर रहा हूं ताकि शायद कोई मेरी फरियाद सुन सके। बेहद परेशान एक पेशेवर युवा अपनी दास्तां सुनाते हुए कहता है कि जनाब शादी के कुछ दिनों के बाद ही उसकी नवेली दुल्हन ने अपने रिश्ते कहीं और होने की बात स्पष्ट कर दी। मैंने समझाया कि जो पीछे हो गया उसे खत्म कर, नया अध्याय शुरू करते हैं परन्तु इसके बावजूद भी उसकी मनमानियां नहीं रुकीं। 


विवाहित युवक कहता है कि उसके पास तमाम डिजिटल प्रमाण हैं। ऐसे-ऐसे रिकार्ड मौजूद हैं, जिन्हें देखकर कोई भी शर्मिंदा हो जाए। वह कहता है कि उलटा उसी पर ही उत्पीड़न का मामला बना दिया गया है। अब फरियाद किसे सुनाए, यह उसे समझ नहीं आ रहा है। एक पीड़ित विवाहित युवक कहता है कि उसे इस बात पर मजबूर किया जा रहा है कि वह अपने माता-पिता को छोड़कर पत्नी के मायके में ही रहे। जब मैं ऐसा करने से मना करता हूं तो उलटा प्रताड़ित किया जाता है। हालत यह है कि शादी के बाद से ही सजा भुगत रहा हूं। न इधर का हूं और न उधर का रहा हूं। आखिर कोई तो ऐसा मंच हो जहां पुरुषों की सही आवाज भी सुनी जाए। 


ऐसा नहीं है कि प्रताड़ना केवल महिलाओं की हो रही है। इस मामले में पुरुष भी काफी पीड़ित हैं। एक विवाहित युवक के परिजन बेहद परेशान हैं। बहू ससुराल आने को तैयार नहीं है। इकलौते पुत्र पर दबाव है कि वह या तो अलग रहे या फिर पत्नी के साथ उसके मायके में ही रहे। इकलौता पुत्र अपने माता-पिता का कैसे त्याग कर दे, यह उसे समझ नहीं आ रहा है। घर-गृहस्थी पूरी खराब हो चुकी है। बच्चे से भी मिलने नहीं दिया जा रहा है। तनाव में जीवन निकल रहा है और इसी के चलते माता-पिता भी बीमारियों के शिकार हो चुके हैं। मामले तो यहां तक हैं कि कुछ विवाहिताएं इसलिए ससुराल नहीं रहना चाहती हैं क्योंकि ससुराल में दुधारू पशु हैं और नई नवेली दुल्हन को गोबर की बदबू आती है। एक पीड़ित पति कहता है कि तमाम सुविधाएं देने के बावजूद भी उसकी पत्नी वहां नहीं रहना चाहती है। किसी कस्बे या शहर में किराए के मकान में रहने को बाध्य कर रही है। ऐसी हालत में क्या किया जाए, समझ नहीं आ रहा है। जब शर्तें नहीं मानी जा रही हैं तो मामले पुलिस में जा रहे हैं। 


काफी शिकायतें पहुंच रहीं, स्मार्ट फोन से परेशानियां बढ़ रहीं: एस.पी.
एस.पी. दिवाकर शर्मा ने माना कि उनके पास ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें पीड़ित पुरुषों ने पत्नियों के खिलाफ शिकायत दी है। एक मामले में डिजिटल प्रूफ देखकर वह भी स्तब्ध रह गए। इसमें कुछ प्रमाण बेहद आपत्तिजनक भी थे। मामले पर जांच की जा रही है। काफी शिकायतें पुलिस के पास पहुंच रही हैं। पुलिस का महिला सैल ऐसे मामलों की जांच भी करता है और काऊंसलिंग के बाद दोनों पक्षों के समझौते भी करवाए जाते हैं। पारिवारिक झगड़े आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ रहे हैं। एस.पी. कहते हैं कि स्मार्ट फोन से भी लोगों की काफी परेशानियां बढ़ रही हैं।


अगर ऐसा है तो कार्रवाई हो : कांता
एकल नारी शक्ति संगठन की अध्यक्ष कांता शर्मा कहती हैं कि उनके पास कई महिलाएं ससुराल में हुई हिंसा की शिकायतें लेकर आती हैं। वह महिलाओं की समस्याओं को सुनकर उनका हल खोजती हैं। कई बार कसूर महिलाओं का भी होता है। हालांकि अधिकतर हिंसा की शिकार महिलाएं होती हैं। यदि कोई महिला पुरुष का उत्पीड़न कर रही है और कानून का नाजायज लाभ उठा रही है तो उस पर भी बराबर कार्रवाई होनी चाहिए।


कई मामलों में पाया जाता है पुरुषों का पक्ष सही : डोगरा
सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परिवार परामर्श केंद्र ऊना के संयोजक महेन्द्र डोगरा कहते हैं कि उनके पास अनेक पारिवारिक विवाद पहुंचते हैं। जांच के बाद कई मामलों में पाया जाता है कि पुरुषों का पक्ष सही है। ऐसी शिकायतें होती हैं जिनमें महिलाएं किसी न किसी वजह से तंग करने के उद्देश्य से पुरुषों के खिलाफ शिकायतें करती हैं। हालांकि अनेक मामलों में महिलाएं भी उत्पीड़ऩ का शिकार होती हैं। ऐसे मामलों में निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार कर आगे सौंपी जाती है। 


पुरुषों के बचाव पर कानून में कोई विशेष प्रावधान नहीं : अधिवक्ता
वरिष्ठ अधिवक्ता खड़ग सिंह व एडवोकेट राज कुमार धनोटिया कहते हैं कि पुरुषों पर अत्याचार के बचाव पर कानून में कोई विशेष प्रावधान नहीं है। घरेलू हिंसा अधिनियम, 125 सी.आर.पी.सी. व 498 ए महिलाओं के उत्पीड़न से सम्बंधित ही हैं। पत्नी प्रताड़ित पति के लिए कोई भी प्रोटैक्शन नहीं है उसके लिए मारपीट या दूसरी स्थिति में सामान्य धाराओं के तहत ही मामले दर्ज किए जा सकते हैं ।

Ekta