धारा-118 की मंजूरी: धूमल नहीं गुलाब सिंह ने दी थी विवादित मामले में अनुमति!

Tuesday, Sep 25, 2018 - 10:24 AM (IST)

शिमला: भले ही राज्य में अब भाजपा की सरकार है लेकिन विजीलैंस ने जिस मुद्दे की तहें उधेड़नी शुरू की हैं उससे अब भाजपा की वर्ष 2007 से 2012 के बीच रही सरकार की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गई हैं। धारा-118 की मंजूरी दिलवाने की एवज में कथित तौर पर अवैध वसूली  करने के मामले में उस वक्त के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भले ही इस मामले की जद से बाहर हैं परन्तु उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी और रिश्तेदार तत्कालीन राजस्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर इस मामले में उलझते हुए दिख रहे हैं क्योंकि इस विवादित मामले में धारा-118 के तहत अनुमति बतौर राजस्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर द्वारा दी गई है। सूत्रों की मानें तो इस खास केस के लिए तब राजस्व मंत्री रहे गुलाब सिंह ठाकुर ने कई अनऑफिशियल लैटर भी जारी किए हैं। यह सब लैटर इस फाइल में लगे हुए हैं।

बताया जाता है कि वर्ष 2007 में जब भाजपा की सरकार बनी थी तो प्रेम कुमार धूमल ने गुलाब सिंह ठाकुर को लोक निर्माण तथा राजस्व विभाग देकर सबसे शक्तिशाली मंत्री बनाया था। गुलाब सिंह ठाकुर सांसद अनुराग ठाकुर के ससुर हैं। हालांकि धारा-118 के केस राजस्व मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री तक जाते हैं, वही इसकी स्वीकृति देते हैं लेकिन तब प्रो. धूमल ने एक आदेश पारित कर ऐसी अनुमतियां जारी करने के लिए राजस्व मंत्री को अधिकृत कर रखा था। जिस कारण सभी फाइल पर गुलाब सिंह ही फैसला करते थे। चूंकि मामला अब हाई प्रोफाइल हो गया है और इसमें सत्तारूढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेता की ही साख दांव पर लग रही है, ऐसे में विजीलैंस ने भी अब चुप्पी साध ली है। 

इस जांच को आगे बढ़ाने के लिए विजीलैंस ने इस केस की मूल फाइल की मांग राजस्व विभाग से की है। छानबीन में सामने आया है कि कसौली में हिमाचल से बाहर के एक व्यवसायी को होटल इकाई स्थापित करने के लिए धारा-118 में भूमि खरीदने की मंजूरी प्रदान करने से जुड़े मामले में कुछ अनऑफिशियल नोट जारी हुए थे। संबंधित नोट तत्कालीन राजस्व मंत्री ने जारी किए थे। सूत्रों की मानें तो तत्कालीन मंत्री ने करीब 4 से 5 अनऑफिशियल नोट जारी किए थे। ऐसे में जांच एजैंसी अन-ऑफिशियल नोट जारी किए जाने की मंशा का भी पता लगाने में जुट गई है। बताया गया है कि कसौली में रिजोर्ट के लिए वर्ष 2005-06 में भी भूमि प्रदान करने के लिए आवेदन किया गया था लेकिन उसे सरकार ने खारिज कर दिया। इसके बाद वर्ष 2009-10 में धूमल सरकार के दौरान फिर से मंजूरी मांगी गई और इस विशेष केस में तत्कालीन राजस्व मंत्री ने गहरी दिलचस्पी दिखाते हुए इसकी फाइल मंगवाने के लिए कई बार अनऑफिशियल नोट जारी किए। इस संदर्भ में जब पूर्व राजस्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो वह उपलब्ध नहीं हुए।

क्या है मामला
स्टेट विजीलैंस को वर्ष 2010 में एक शिकायत मिली थी। इसके तहत आरोप लगाया गया था कि बाहरी लोगों को धारा-118 के तहत मंजूरी देने के लिए यहां घूसखोरी का खेल चला हुआ है। ऐसे में जांच एजैंसी ने अपना जाल बिछाया और इसी कड़ी में कुछ लोगों की बातचीत रिकॉर्ड हुई। यह रिकॉॄडग विजीलैंस के पास मौजूद है। सूत्रों के अनुसार यह मामला परवाणु और पंचकूला के करीब आधा दर्जन से अधिक कारोबारियों से संबंधित है।

कसता जा रहा शिकंजा
धारा-118 से जुड़े 8 साल पुराने केस में विजीलैंस का शिकंजा कसता जा रहा है। इसके तहत जांच एजैंसी पूर्व मुख्य सचिव एवं राज्य चुनाव आयुक्त  पी.मित्रा के साथ-साथ कई लोगों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज कर चुकी है। इस मामले में अभी तक केवल 2 लोगों को नामजद किया गया है। 

Ekta