ऊना की इस बेटी के जज्बे को सलाम, ऊना में ऐसा करने वाली पहली महिला

punjabkesari.in Wednesday, Jun 03, 2020 - 04:12 PM (IST)

ऊना (अमित शर्मा) : ऊना की बेटी प्रणीति के जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है। मात्र 24 साल की उम्र में  प्रणीति ने वो किया  है जो ऊना में अब तक कोई नहीं कर सका था। कोरोना काल में बतौर योद्धा वे अपनी सेवाएं दे रही है। प्रणीति ऊना में कोरोना संक्रमितों का इलाज करने वाली पहली महिला चिकित्सक बन गई है। उन्होंने अपने इस कार्य से लोगों को बेटा-बेटी में भेदभाव न करने का संदेश दिया है। 

ऊना जिला के गांव ऑयल की बेटी डॉक्टर प्रणीति कोरोना के इस दौर में बतौर योद्धा अगली पंक्ति में रहकर सेवाएं दे रही है। उन्हें जिला ऊना में सबसे पहले कोरोना संक्रमितों के इलाज करने वाली पहली महिला चिकित्सक का भी दर्जा प्राप्त हुआ है। स्वास्थ्य विभाग में ज्वाइन करने के बाद मात्र चार माह में ही 24 वर्षीय डॉक्टर ने मेहनत और काम के प्रति लग्न के बूते इस मुकाम को हासिल किया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह के दौर में सेवाएं देने का मौका मिलेगा। ऊना के खड्ड में स्थापित कोविड केयर सेंटर में उनकी ड्यूटी के दौरान ही दो कोरोना संक्रमित भर्ती किये गए थे, जो कि दोनों ही नेगेटिव होकर अब अपने घर परिवार के साथ हंसी खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे है। 

30 नबंबर 1996 को कपिल शर्मा और सुधा पराशर के घर जन्मी प्रणीति ने पंजाब के बरनाला में दसवीं तक पढ़ाई की और उसके बाद जमा दो तक की शिक्षा होशियारपुर में प्राप्त की। इसके बाद अपना और अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने ने एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए एमएमयू सोलन में एडमिशन लिया। दिसंबर 2019 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और जनवरी 2020 में उनका स्वास्थ्य विभाग में चयन हो गया। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर मेडिकल ऑफिसर ऊना जिला के भदसाली अस्पताल में हुई। इसी बीच कोरोना का कहर भारत में बढ़ना शुरू हुआ, जिस से हिमाचल और ऊना भी अछूते नहीं रहे। ऊना से कोरोना संक्रमितों को पहले टांडा मेडिकल कॉलेज, फिर बद्दी और उसके बाद हमीरपुर के भोटा भेजा जाने लगा।

इसी बीच संक्रमितों को ऊना में ही रखने का प्लान तैयार किया गया। जिसके तहत खड्ड में डेडिकेटिड कोविड केयर सेंटर बनाया गया। जिसमें सबसे पहले दो चिकित्सकों डॉ. प्रणीति और डॉ. विनायक की तैनाती की गई। उनके जिम्मा संभालने के बाद 15 और 19 मई को दो कोरोना संक्रमित कोविड केयर सेंटर में दाखिल हुए, जिनका वहां इलाज किया गया और दोनों मरीज संक्रमण मुक्त होकर घर वापिस चले गए। उन्होंने कहा कि ऐसे दौर की कभी कल्पना नहीं की थी। डॉक्टर की माने तो जब कोविड केयर सेंटर में ड्यूटी की बात हुई तो थोड़ी घबराहट जरूर हुई लेकिन अपने फर्ज को आगे रखते हुए सेवाएं दी। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह ड्यूटी के बाद वो क्वारंटीन सेंटर में रहे और इस दौरान उनके भी कोविड 19 का टेस्ट हुआ जिसमें वो नेगेटिव पाई गई। प्रणीति बताती है कि उसकी फैमिली बैकग्राउंड में कोई भी डॉक्टरी के पेशे में नहीं गया। उसका और उसके पिता का सपना था कि मैं डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा कर सकूं। वहीं उन्होंने लोगों से बेटा-बेटी में अंतर ना करने की अपील की है।


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Edited By

prashant sharma

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