सलीम के बोल, देवभूमि में कार्यक्रम देना सौभाग्य समझता हूं

Wednesday, Feb 21, 2018 - 01:03 PM (IST)

बड़सर: देवभूमि में आकर कार्यक्रम करके मैं अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली समझता हूं। बाबा की धरती में आने का मुझे फिर से सौभाग्य मिला जो मेरे लिए बड़े हर्ष की बात है। उपरोक्त शब्द प्रसिद्ध गायक मास्टर सलीम ने कहे। उन्होंने कहा कि आज मैं जिस मुकाम पर पहुंचा हूं वह सब गुरु-पीरों के आशीर्वाद से ही संभव हो पाया है। सलीम ने कहा कि हिमाचल की पहाड़ी वादियों में आकर उन्हें बहुत सुकून मिलता है। हिमाचल एक देवभूमि व ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है। यहां की वादियां व संस्कृति उन्हें बार-बार आकर्षित करती है।


धार्मिक स्थल दियोटसिद्ध में बाबा बालक नाथ मंदिर की प्राचीन गद्दी के ब्रह्मलीन महंत शिवगिरि जी महाराज की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देने आए मास्टर ने होटल अशोका रिजैंसी में पंजाब केसरी से खास बातचीत करते हुए कहा कि हिमाचल में वे सैकड़ों कार्यक्रम कर चुके हैं। हिमाचल के लोगों का उन्हें हमेशा अपार स्नेह व प्यार मिला है। सलीम ने एक सवाल के जवाब में भावुक होते हुए धार्मिक संगीत गायन के क्षेत्र में आने का श्रेय अपनी माता को दिया। सलीम ने बताया कि मेरी माता ने कहा था कि बेटा तू माता की भेंटें व भजन गाया कर, जिससे तुझे इस क्षेत्र में अलग पहचान व प्रसिद्धि मिलेगी।


मैं अपनी माता के आदेश को सिर-माथे लगाते हुए धार्मिक संगीत के क्षेत्र में उतर गया। मेरी माता का ही आशीर्वाद है कि आज मैं जिस मुकाम पर पहुंचा हूं वह मेरी माता की देन है। सलीम ने कहा कि पंजाबी संगीत का ही असर है कि बॉलीवुड में भी पंजाबी संगीत को तरजीह दी जा रही है। आज पंजाब के कई कलाकारों के प्रति बॉलीवुड आकर्षित हुआ है। संगीत के क्षेत्र में पंजाबी गायन बहुत बड़ी प्रसिद्धि हासिल कर चुका है। जो पंजाबी संगीत के लिए बड़े गौरव का विषय है। मास्टर सलीम वर्तमान के पंजाबी संगीत से काफी आहत दिखे। वर्तमान के पंजाबी गायन में संगीत कम व शोर ज्यादा होता है। सलीम ने कहा कि पंजाबी संगीत में पंजाबी संस्कृति लुप्त होती जा रही है जोकि चिंता का विषय है।