दुखी माता-पिता ने कहा-साहब! पैसे न देने पर हिंसक हो जाती है बेटी

Thursday, Jun 07, 2018 - 09:47 AM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र शर्मा): साहब! हर रोज बेटी पैसे की मांग करती है। जब हिसाब पूछते हैं तो हिंसक हो उठती है। उसकी डिमांड पूरी करते-करते खुद तंगहाल हो चुके हैं। अब तो इंतहा हो गई जब एक जगह जॉब मिलने के नाम पर करीब 80 हजार रुपए की मांग करने लगी है। हर समय फोन पर व्यस्त रहती है। न कोई काम करती है और न ही पढ़ाई। दास्तां सुनाते हुए एक पिता की आंखों में आंसू आ जाते हैं। एक दफ्तर में पहुंचे पिता काफी परेशान हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अब ऐसे हालात में वह कहां जाएं और इस समस्या का हल कैसे करें। बात बेदखली तक पहुंचने लगी है। ऐसे ही एक दुखी माता-पिता एक धार्मिक स्थल पर धर्मगुरु से अपने बेटे के रवैये के लिए कोई दुआ करने का आग्रह करते हैं।


बताते हैं कि उनका बेटा न कहना मानता है और न ही कोई काम करता है। पढ़ाई में भी वह औसतन है। परेशानी की हालत में वह धर्म स्थल पर बेटे के लिए कोई ऐसी दुआ की उम्मीद कर रहे हैं ताकि वह सही रास्ते पर आ जाए। एक अन्य बुजुर्ग अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाकर बेहद परेशान हो चुके हैं। बेटी मनमर्जी करना चाहती है। उसके लिए बेहतर जॉब की भी व्यवस्था की है परन्तु बेटी जिस युवक के साथ शादी करना चाहती है वह पूर्णतय: बेरोजगार और अशिक्षित है। टूट चुके पिता को समझ नहीं आ रहा कि बेदखली के अतिरिक्त उनके पास कोई चारा नहीं है। हर रोज ऐसे ही अनेक अभिभावक कभी किसी मंच पर तो कभी परामर्श लेने इधर-उधर भटक रहे हैं।


भटके हुए युवाओं से परेशान अभिभावकों की गिनती बढ़ती जा रही है। बहुत कम सौभाग्यशाली ऐसे घर हैं जहां बच्चे माता-पिता का कहना मानते हैं और उच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए अच्छी जॉब भी कर रहे हैं। कोई बहू से दुखी तो कोई बहू सास से दुखी अपनी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं। पुलिस का महिला सैल भी अनेक पारिवारिक शिकायतों को लेकर हर रोज माथापच्ची करता है। उलझने हैं कि सुलझने का नाम नहीं ले रही हैं। एक तरफ समाज में बढ़ता नशे का प्रचलन, स्मार्टफोन की लत और बेतहाशा खर्चों ने शायद युवा पीढ़ी को भ्रमित चिंता का विषय बन गए हैं। न जाने कितने अभिभावक ऐसे मंच की तलाश में हैं जहां भटके हुए युवाओं की काऊंसलिंग हो ताकि वे फिर से राह पर लौट आएं। एक अभिभावक से जब बात हुई तो उन्होंने स्वीकार किया कि बच्चे हिंसक हो रहे हैं। न तो कहना मानते हैं और न ही कोई काम करते हैं।


स्मार्टफोन ने मानो उनका जीवन ही तबदील कर दिया हो। ऐसी उन्नति होगी ऐसा कभी सोचा भी नहीं था। एक परिवार की दास्तां है कि बेटा तो ठीक लेकिन बहू के व्यवहार की वजह से उसे बेदखल करना पड़ रहा है। उनके समक्ष कोई हल नहीं है क्योंकि इकलौता पुत्र भी अब उनके वश से बाहर हो चुका है। डी.सी. राकेश कुमार प्रजापति ने कहा कि भटके हुए युवाओं की काऊंसलिंग के लिए एक केंद्र की स्थापना की जाएगी। इसके लिए प्रोसैस शुरू कर दिया गया है। इसमें उन युवाओं का उपचार भी होगा जो किसी न किसी वजह से नशे की लत में धंस चुके हैं। एस.पी. दिवाकर शर्मा कहते हैं कि पुलिस के महिला सैल में अनेक पारिवारिक विवाद पहुंच रहे हैं। समझौते के जरिए हल करने का प्रयास होता है। नशे के प्रचलन ने निश्चित रूप से समाज में युवाओं की दिशा को भ्रमित कर दिया है। 5 माह में नशे के 51 मामले पकड़े जाना काफी चिंताजनक हैं। समाज को मिलकर नशे से मुक्त होना तथा अपनी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ना बेहद जरूरी है। 


बेटे से भयभीत है मां
एक ऐसी ही अन्य मां अपने पुत्र से भयभीत है। कई बार पुलिस में भी शिकायत कर चुकी है। उसका कहना है कि वह घर नहीं रह सकती। न जाने कब पुत्र हमला कर दे। ऐसे दिन आएंगे, कभी सोचा भी नहीं था। पति का साया नहीं है तो अब पुत्र भी पराया हो गया है।
 

Ekta