हिमाचल की सड़कें हो रही खूनी, रोजाना हर डेढ़ घंटे में करीब 3 लोग गंवा रहे अपनी जान

Sunday, Jun 23, 2019 - 01:37 PM (IST)

धर्मशाला : सूबे में तंग सड़कों, अप्रशिक्षित चालकों, ओवरलोङ्क्षडग और ओवरस्पीड के चलते सड़क हादसों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। सरकार रोड सेफ्टी के लिए कई अभियान चला रही है लेकिन सड़क हादसों पर अंकुश लगाने में ये अभियान कारगर सिद्ध नहीं हो रहे हैं। बंजार के दर्दनाक हादसे ने फिर यह बहस छेड़ दी है कि आखिर सूबे की सड़कों पर हर रोज खून बहने का सिलसिला कब रुकेगा। आंकड़े बयां करते हैं कि सूबे में हर 96 मिनट में एक सड़क हादसा होता है। हर रोज 3 लोग हादसों में जान गंवा रहे हैं। हर साल औसतन 3,000 से अधिक हादसे हो रहे हैं। वर्ष 2009 से 2018 के मध्य बीते 10 वर्षों में प्रदेश में 30,993 सड़क हादसे हुए हैं। इन हादसों में 11,561 लोगों की जानें गई हैं जबकि 53,909 लोग घायल हुए हैं।

सड़क हादसों की रफ्तार इस साल भी बढ़ती जा रही है। 2019 में 31 मई तक 1,168 सड़क हादसे हो चुके हैं। इनमें 430 लोगों ने जान गंवाई है जबकि 2,155 लोग जख्मी हुए हैं। बीते एक दशक में प्रदेश में दर्जनों बड़े बस हादसे हुए हैं, जिनमें बड़ी तादाद में मानवीय क्षति हुई है। पहाड़ी प्रदेश की भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है कि अधिकतर सड़कें पहाडिय़ों को काटकर बनाई गई हैं, जिनके साथ नदियां व खड्डें बहती हैं और गहरी खाइयां हैं। इस कारण बसों के खाई में गिरने से यात्रियों के बचने की संभावना क्षीण हो जाती है।

हादसों के पीछे सर्वाधिक मानवीय चूक

सोशल वैल्फेयर संस्था द्वारा बीते साल करवाए गए एक सर्वे के अनुसार करीब 80 फीसदी सड़क हादसे मानवीय चूक के कारण होते हैं जबकि 15 फीसदी हादसों के पीछे सड़कों की खराब स्थिति और 5 प्रतिशत हादसों का कारण तकनीकी खराबी होना सामने आया है।

595 ब्लैक स्पॉट, अधिकतर में क्रैश बैरियर नहीं

हिमाचल में 595 ब्लैक स्पॉट्स हैं। इन्हें पुलिस, परिवहन और लोक निर्माण विभाग ने चिन्हित किया है। चिंताजनक पहलू यह है कि इनमें से अधिकतर में आज तक पैरापिट या क्रैश बैरियर नहीं लग सके हैं। यह सरकारी स्तर पर बरती जा रही लापरवाही को दर्शाता है। उधर, सरकार दावा करती है कि 595 ब्लैक स्पॉट्स में से 271 स्पॉट्स को दुरुस्त कर दिया है, जबकि शेष पर काम चल रहा है।
 

 

kirti