रिवालसर की पवित्र झील में 40 टन मछलियों ने तड़पते-तड़पते तोड़ा दम

Sunday, Apr 23, 2017 - 03:13 PM (IST)

रिवालसर: विश्व प्रसिद्ध धर्म स्थली रिवालसर की झील में 40 टन के करीब मछलियां ऑक्सीजन की कमी के कारण दम तोड़ चुकी हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। शनिवार को भी झील से मरी हुई मछलियों की 5 ट्रॉलियां निकाली गईं। रिवालसर की स्वयंसेवी संस्था के प्रधान नरेश शर्मा ने कहा कि भविष्य में इस प्रकार की घटना न घटे, इसके लिए प्रशासन को अब सतर्क हो जाना चाहिए और एन.जी.टी. द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों को अमल में लाना चाहिए। 

झील में जहर डालने का बयान दुर्भाग्यपूर्ण
झील का रंग बदलना व मछलियों के मरने पर नगर पंचायत की महिला पार्षद के बयान को तमाम लोगों ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पवित्र रिवालसर के जल का रंग बदलने का प्रमुख कारण झील में आने वाला गंदा पानी व गाद है। चर्चा है कि उक्त कथित चाल के पीछे स्थानीय प्रशासन का ही हाथ बताया जा रहा है, जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व मत्स्य विभाग की जांच उक्त कथित शिकायत को पूरी तरह झुठला रही है।



झील के पानी के रंग में हुआ सुधार
झील में जीवित बची मछलियों को पकड़कर प्राकृतिक जल स्रोतों में छोड़ने का कार्य जारी है। मत्स्य विभाग का यह कार्य पुलिस पहरे में चल रहा है। शनिवार को 1500 से अधिक मछलियां पकड़ कर प्राकृतिक जल स्रोतों में छोड़ी गईं। अध्यक्ष नगर पंचायत लाभ सिंह ठाकुर ने बताया कि मृत मछलियों को निकालने व ठिकाने लगाने के कार्य में लो.नि.वि. मंडल मंडी नं. 2, 3 व 4 के 84 बेलदार और 6 कार्य निरीक्षक लगे हुए हैं। उधर, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा उपकेंद्र रिवालसर की ओर से भी झील के वजूद व मछलियों के बचाव हेतु राजयोग मैडीटेशन शुरू कर दिया गया है, जोकि 19 अप्रैल से आरंभ हुआ है और 7 मई तक चलेगा।