फरिश्ता बनकर पहुंचीं रैस्क्यू टीमें, CJM पठानकोट सहित 25 लोगों की ऐसे बचाई जान

Thursday, Jun 22, 2017 - 07:45 PM (IST)

चम्बा: पांगी घाटी को जिला मुख्यालय से जोडऩे वाले साच दर्रे को पार करते हुए बर्फबारी के कारण फंसे 25 लोगों को जिला प्रशासन ने सुरक्षित बगोटू पहुंचा दिया है। जानकारी के अनुसार बुधवार को जब 4 गाडिय़ों व 12 मोटरसाइकिलों के माध्यम से 25 लोग साच दर्रे को पार करके पांगी घाटी जा रहे थे तो अचानक मौसम खराब हो गया और जोरदार बर्फबारी शुरू हो गई, ऐसे में उक्त लोगों को साच दर्रे के टॉप पर बनाए गए एक शरणस्थली में पनाह लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जहां इन्होंने पूरी रात किसी तरह से गुजारी। 

डी.सी. चम्बा ने दर्रे पर भेजी 2 रैस्क्यू टीमें
वीरवार को जैसे ही पांगी उपमंडल प्रशासन को इस बारे जानकारी मिली तो उसने तुरंत इसकी जानकारी डी.सी. चम्बा सुदेश मोख्टा को दी। उनके निर्देशानुसार चम्बा व पांगी की तरफ से 2 रैस्क्यू टीमों को मैडीकल टीम के साथ साच दर्रे पर भेजा गया। साच दर्रे में  फरिश्ता बनकर पहुंचीं उक्त टीमों ने इन लोगों को सुरक्षित बगोटू पहुंचाया, जहां प्रशासन ने उक्त सभी लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवा दी हैं। बर्फीले तूफान में फंसे लोगों में पंजाब के पठानकोट जिला के सी.जे.एम. भी शामिल थे।  

खराब मौसम में बैरागढ़ से आगे नहीं जा सकेंगे लोग
बुधवार को घटी घटना से जिला प्रशासन ने सबक लेते हुए बैरागढ़ में तैनात आई.आर.बी. की टुकड़ी को अब ये निर्देश जारी कर दिए हैं कि अगर बैरागढ़ में मौसम खराब हो तो इस स्थिति में किसी भी व्यक्ति को बैरागढ़ से आगे जाने नहीं दिया जाए। लोगों का कहना था कि यह तो राहत की बात रही कि बर्फीले तूफान में फंसे सभी 25 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। 

साच दर्रे पर पहले भी जा चुकी हैं जानें
पांगी व जिला मुख्यालय के बीच प्रकृति की चुनौती के रूप में खड़े साच दर्रे को पार करते हुए अब तक कई जिंदगियां बर्फ के नीचे दबकर दम तोड़ चुकी हैं। अक्तूबर, 2004 में पांगी घाटी के 2 व्यक्ति उस समय बर्फ में दफन हो गए थे, जब वे साच दर्रे को पैदल पार कर रहे थे। जानकारी के अनुसार जब वे साच दर्रे से नीचे भूत मैदान में पहुंचे तो अचानक मौसम खराब होने के कारण वे वहां फंस गए। उन्होंने तूफान से बचाने के भरपूर प्रयास किए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी।  

15 वर्षों में गईं करीब आधा दर्जन जानें
जानकारी अनुसार बीते 15 वर्षों के दौरान साच दर्रा अब तक करीब आधा दर्जन लोगों की जानें लील गया है। उसका सबसे बड़ा हथियार बर्फीला तूफान रहा है। मरने वाले इन लोगों में सभी पांगी घाटी के हैं। यही वजह है कि पिछले करीब 15 वर्षों से पांगी घाटी को सुरंग से जोडऩे के लिए हर मंच व हर मौके पर पांगी घाटी के लोग प्रशासन, राज्य व केंद्र सरकार से सुरंग निर्माण करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इसके नाम पर महज कागजी घोड़े ही दौड़े हैं।