याद आया देवभूमि का वो वीर, जिसने देश के लिए दिया सर्वोच्च बलिदान

Sunday, Feb 26, 2017 - 02:38 PM (IST)

ऊना: अमर शहीद कैप्टन अमोल कालिया के जन्मोत्सव पर शहीद कैप्टन अमोल कालिया मैमोरियल सोसायटी, कैप्टन अमोल कालिया पार्क, शिवालिक एवेन्यू नया नंगल में समारोह का आयोजन करती है। भारत की प्रभुसत्ता और अखंडता की सुरक्षा करते हुए वीर चक्र (मरणोपरांत) से अलंकृत देश के एक महान सपूत अमोल कालिया का जन्म 26 फरवरी, 1974 को पंजाब के नगर नंगल में हुआ था। उनका वंश तथा मूल गांव मां छिन्नमस्तिका चिंतपूर्णी धाम जिला ऊना हिमाचल था। शहीद के पिता जाने-माने शिक्षाविद तथा प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए सतपाल कालिया हिमाचल शिक्षा विभाग में सेवारत थे। माता ऊषा नंगल में सेवा में थी इसलिए यह परिवार नंगल में ही रहता था।


1996 में की खेमकरण सैक्टर में करियर की शुरूआत
प्रारंभिक शिक्षा नंगल के फर्टीलाइजर मॉडल स्कूल में प्लस 2 तक हुई। इनके हृदय में देशभक्ति तथा फौज में शामिल होने का सपना था। उसे पूरा करने के लिए जून, 1991 में एन.डी.ए. की परीक्षा दी तथा एन.डी.ए. में प्रवेश, प्रशिक्षण के सम्पन्न होने के बाद उन्हें भारतीय सेना में कमीशन मिला। युवा सैकेंड लैफ्टीनैंट अमोल कालिया को 1996 में खेमकरण सैक्टर में करियर की शुरूआत का अवसर मिला तब 25 जनवरी को वह एक भीषण दुर्घटना का शिकार हुए। 14 घंटे बाद उन्हें होश आया। सियाचिन सैक्टर जैसे कठिन क्षेत्र में 2 बार सर्व करने का मौका मिला। पाक सेना ने भारत के अभिन्न भू-भाग कारगिल में चोरी छिपे पक्के वंकर निर्मित कर कब्जाने की कोशिश की। उसकी भनक मिलते ही भारतीय सेना हरकत में आई।


मरणोपरांत वीर चक्र से अलंकृत कर राष्टपति ने अमोल के जज्बे को किया सलाम
कारगिल सैक्टर में 16000 फुट ऊंची हिमाच्छादित चोटी संख्या 5203 को शत्रुओं से मुक्त करवाने के मिशन के साथ अमोल कालिया को अपने 14 जवानों की जांबाज टुकड़ी के साथ शस्त्रों के साथ ड्राप किया गया। शत्रु हर दृष्टि से उनसे अधिक संख्या तथा हथियारों से लैस पक्के बंकरों में मौजूद थे। वीर अमोल के नेतृत्व में उनकी टुकड़ी ने उन्हें ललकारा तथा उनका अंगरक्षक तथा वीर योद्धा शहीद हो गए। अमोल भी शत्रु की गोली से आहत होते हुए अपने अंगरक्षक की मशीनगन तक रेंगकर उसे पकड़ शत्रुओं पर टूट पड़ा और वहां तिरंगा लहराते हुए स्वयं शहीद हो गया। भारत के राष्टपति ने अमोल को मरणोपरांत वीर चक्र से अलंकृत कर सारे राष्ट की तरफ से अमोल के जज्बे को सलाम किया। 


सुखद कल के लिए किया आज अपना कुर्बान
आज भी शहीद के पिता सतपाल शर्मा भावुक तथा अश्रुपूर्ण स्मरण से कहते हैं कि अमोल तो अनमोल था, तुमने अपने देश तथा देशवासियों के सुखद कल के लिए अपना आज कुर्बान कर बलिदान का नया इतिहास रचा। मुझे तुम पर गर्व है और रहेगा। आज देश के जांबाज, साहस और शौर्य के इतिहास में स्वर्णिम पन्ना जोड़ हमेशा-हमेशा के लिए अमरत्व पाने वाले वीर योद्धा कै. अमोल कालिया को हमारा नमन।