सब्जियां खाने से पहले पढ़ लें ये जरूरी खबर

Sunday, Apr 22, 2018 - 05:02 PM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र): सब्जियों पर अत्यधिक कीटनाशकों के छिड़काव पर कोई निगरानी न होने का असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। ऊना जिला सब्जियों के उत्पादन की हव तो बना लेकिन खतरा भी साफ दिखाई दे रहा है। स्वां नदी के भीतरी तट हों या इसके बाहर का क्षेत्र। हर तरफ सब्जियों का अम्बार लगा है, लेकिन क्या यह सब्जियां खाने योग्य हैं। यह बड़ा सवाल बनकर उभरने लगा है। कृषि वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं कि अत्यधिक कीटनाशकों का प्रयोग सेहत के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं। जिला के विस्तृत स्वां क्षेत्र में हर वर्ष इन दिनों बड़े स्तर पर सब्जी उत्पादन होता है। यूं तो पूरा रेत हरियाली में तब्दील हो जाता है। इन सब्जियों के उत्पादन के दौरान कितने उर्वरक और कितने कीटनाशक प्रयोग किए जा रहे हैं। इस पर कोई रोक-टोक नहीं है। न ही इस बात की जांच के लिए कोई विभाग या विंग है, जो जांचे कि किस सब्जी पर कितना जहर घुला हुआ है। 


हरी सब्जियां तो हर कोई खरीद रहा है लेकिन खतरा भी साथ है। स्वां नदी में सब्जी उत्पादन में लगे बाहरी राज्यों के राईं परिवारों सहित मजदूरों की मानें तो हर सप्ताह 2 से 3 बार कीटनाशकों का प्रयोग यहां किया जा रहा है। सब्जियों की बेलों के आसपास बिखरे कीटनाशकों के डिब्बे इस बात के गवाह हैं कि सब्जियों के ऊपर जहर का छिड़काव हो रहा है। कीटों से सब्जियों के बचाव और उनके बेहतर उत्पादन के लिए जिन रासायनिक पदार्थों का प्रयोग क्षमता से अधिक किया जा रहा है। उत्पादन तो बढ़ रहा है लेकिन इसका उपयोग करने वाले लोगों का जीवन निश्चित रूप से खतरे में है। हजारों क्विंटल सब्जियां उत्पन्न तो हो रही हैं परन्तु उतना ही खतरा सभी के आसपास मंडरा रहा है। 


ऐसी कोई लैब या जांच केंद्र नहीं है जिसमें पता लगाया जा सके कि किस सब्जी पर कितना कीटनाशक है। उसके खाने से क्या बीमारियां हो सकती हैं। सूखे रेत में जो हरियाली लाई जा रही है उसके पीछे क्या-क्या रासायनिक तत्व हैं, यह बड़ी जांच का विषय है। सरकारें और संबंधित विभाग इस पर मौन हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के कीट विशेषज्ञ डा. संजय शर्मा की मानें तो अत्यधिक कीटनाशकों का प्रयोग सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। कई बार अत्यधिक कीटनाशकों के प्रयोग से कई कीट अपनी प्रकृति बदल लेते हैं। रासायनों का असर उन पर तो नहीं लेकिन उन सब्जियों पर होता है जिन्हें लोग खाते हैं। संजय मानते हैं कि ऐसी कोई लैब नहीं है जहां इन सब्जियों की जांच हो सके और पता लगाया जा सके कि कितने खतरनाक कीटनाशक इनमें मिले हुए हैं। उनका कहना है कि आर्गेनिक खेती से ही ऐसे खतरनाक रसायनों से बचा जा सकता है।
 

Ekta