RBL ने 150 कर्मचारियों का रोका वेतन, जानिए क्यों

Wednesday, Jun 14, 2017 - 03:02 PM (IST)

ऊना: ऊना के मैहतपुर स्थित रंगड़ उद्योग पर मंडरा रहे संकट के बादलों से सैंकड़ों घरों के चूल्हों पर असर पड़ना शुरू हो गया है। राज्य सरकार के नए नियमों के फेर में फंसे आर.बी.एल. के उद्योग और सेल के लाइसैंस अढ़ाई माह से रिन्यू नहीं हो पाए हैं। ऐसे में उद्योग में अढ़ाई माह से शराब की एक बूंद तक का निर्माण नहीं हो पाया है। शराब की सेल न होने के चलते आर्थिक तंगी से घिरे उद्योग ने फैक्टरी में काम करने वाले 150 से अधिक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को उद्योग से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, वहीं 500 से अधिक नियमित कर्मचारियों की वेतन अदायगी भी पिछले 2 माह से अधिक समय से नहीं हो पाई है। उद्योग से नियमित और अनियमित तौर पर जुड़े कर्मचारियों सहित उद्योग भी आर्थिक बदहाली के फेर में फंस गया है।


मुख्यमंत्री से की समस्या हल करने की मांग
इस संबंध में इंटक नेता कामरेड जगत राम ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को पत्र लिखकर शराब कारखाने आर.बी.एल. में पैदा हुई समस्या को लेकर जल्द समाधान की मांग उठाई है। कामरेड सहित इंटक यूनियन के प्रधान अमरीक सिंह, उपप्रधान पवन कुमार, महासचिव सुरेंद्र कुमार, सदस्य बलवीर कुमार, नरेंद्र कुमार व अमरीक सहित अनेक श्रमिकों ने वेतन दिए जाने व उद्योग में बिक्री का लाइसैंस जारी करने की मांग की है ताकि कर्मचारियों पर इसका असर न पड़े।


27,000 पेटियां गोदाम में डम्प
लगभग अढ़ाई माह पहले आर.बी.एल. ने नए नियमों के तहत उद्योग और सेल का लाइसैंस रिन्यूवल अप्लाई किया था लेकिन संबंधित विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और उद्योग के पास लाइसैंस न होने के चलते शराब का जहां निर्माण कार्य रोक दिया गया, वहीं सेल का लाइसैंस न होने के चलते शराब सेल नहीं की जा सकी। ऐसे में आर.बी.एल. के गोदाम में लगभग 27,000 पेटियां शराब की पड़ी हुई हैं जिसे सेल नहीं किया जा सका है। डेढ़ करोड़ रुपए कीमत की इस शराब के डम्प रहने से उद्योग आॢथक मंदी के दौर में आ गया है जिसका सीधा असर उद्योग में कार्य करने वाले कर्मचारियों पर पड़ रहा है।