रामलाल ठाकुर ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर साधा निशाना, बोले-चंगर के लोगों को जान का खतरा

Thursday, Jul 19, 2018 - 04:01 PM (IST)

बिलासपुर: नंगल से लेकर किरतपुर तक सारे बॉर्डर एरिया के एंट्री प्वाइंट्स पर सुरक्षा में ढील को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं नयनादेवी हलके के विधायक रामलाल ठाकुर ने बिलासपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि बॉर्डर एरिया के एंट्री प्वाइंट्स पर पुलिस की फुल मैनपावर न होने से असामाजिक तत्व पंजाब व हरियाणा सहित अन्य जगहों में वारदातों को अंजाम देने के बाद छिपने के लिए बड़ी आसानी प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर लेते हैं। चंगर एरिया को आपराधिक तत्वों ने छिपने के लिए सबसे सेफ जगह माना है जिसके चलते चंगर क्षेत्र के लोगों की जान को खतरा पैदा हो गया है। पिछले कुछ समय में एक के बाद एक घटनाएं इसका जीता-जागता प्रमाण हैं और नयनादेवी घटना से भी पुलिस की लापरवाही सामने आई है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व डी.जी.पी. से बॉर्डर एरिया में सिक्योरिटी बढ़ाने की वकालत की है।


बॉर्डर एरिया की सही ढंग से निगरानी नहीं कर पा रही पुलिस
वीरवार को सर्किट हाऊस में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि टोबा और कैंचीमोड़ में पुलिस की चेक पोस्ट हैं लेकिन दोनों की ही हालत दयनीय है। पुलिस बॉर्डर एरिया की सही ढंग से निगरानी नहीं कर पा रही। यही कारण है कि शातिर अपराधी बाहरी राज्यों से प्रदेश की सीमा में घुस रहे हैं। वैसे भी नयनादेवी उत्तर भारत का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है और यहां रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है, ऐसे में प्रदेश के बॉर्डर एरिया में ढीली सिक्योरिटी के चलते शातिर कभी भी नयनादेवी पहुंचकर किसी वारदात को अंजाम दे सकते हैं।


टोबा में चैक पोस्ट पर क्यों चैक नहीं हुई गाड़ी?
उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि जब टोबा में चेक पोस्ट है तो फिर पंजाब में वारदात को अंजाम देकर चाइना मेड पिस्टल के साथ अपराधी नयनादेवी तक कैसे पहुंच गए? क्या टोबा में पुलिस ने उनकी गाड़ी चैक नहीं की। क्या पुलिस उस समय ड्यूटी पर तैनात नहीं थी? अपराधियों का पीछा करते-करते पंजाब पुलिस ने नयनादेवी पहुंचकर अपराधियों को दबोचा और इस घटना में एक अपराधी मारा गया है लेकिन हिमाचल पुलिस अपनी नींद से कब जागेगी। उन्होंने कहा कि बॉर्डर एरिया में सिक्योरिटी बढ़ाने की जरूरत है अन्यथा बार-बार ऐसी घटनाओं के घटित होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।


7 माह बाद भी मंदिर ट्रस्ट में टी.ओ. की नियुक्ति नहीं
उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा सरकार को सत्ता में आए 7 माह की अवधि बीतने के बाद भी श्रीनयनादेवी ट्रस्ट में मंदिर अधिकारी (टी.ओ.) की नियुक्ति नहीं हो सकी है। इस अवधि में न तो मंदिर ट्रस्ट की एक भी बैठक का आयोजन हो पाया और न ही ट्रस्ट के गठन को लेकर कवायद शुरू की जा रही है। ऐसे हालात में विकास कार्य ठप हैं तो वहीं नए कार्य अप्रूव भी नहीं हो पा रहे। पता चला है कि कुछ चहेतों को ट्रस्ट का मैंबर बनाने के लिए जान-बूझकर मंदिर ट्रस्ट के गठन में लेटलतीफी की जा रही है। हालांकि अभी तक इस बाबत नोटिफिकेशन तो नहीं हुई है लेकिन सरकारी स्तर पर फाइल जरूर रिमूव हो चुकी है। उन्होंने मंदिर ट्रस्ट के गठन में हो रही देरी को लेकर मंदिर न्यास प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।

Vijay