देश को लच्छेदार भाषण नहीं बल्कि मजबूत अर्थव्यवस्था और महंगाई से निजात चाहिए: राजेंद्र राणा

Thursday, Oct 03, 2019 - 03:50 PM (IST)

हमीरपुर: सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि देश की गिरती हुई अर्थव्यवस्था, बेलगाम महंगाई और बढ़ती हुई बेरोजगारी ने पूरे देश की जनता को चिंता में डाल रखा है लेकिन सरकार गहरी नींद में सोई हुई है। उन्होंने कहा कि देश की जनता को अब लच्छेदार व अहंकार पूर्ण भाषण नहीं, बल्कि धरातल पर स्तिथियों में बदलाव चाहिए। गुरुवार को यहां जारी एक बयान में राणा ने कहा कि देश में घरेलू व्यापार पूरी तरह चौपट हो चुका है। जीएसटी ने उद्योगपतियों का दिवाला निकाल दिया है। सैकड़ों उद्योग बंद होने से लाखों कामगारों की छंटनी हो चुकी है। बैंक दिवालियापन के कगार पर पहुंच चुके हैं। देश की जनता की खून कमाई का पैसा लेकर सरकार की नाक तले कई धन्ना सेठ विदेश भाग चुके हैं।

देश की जीडीपी आजादी के बाद पहली बार इतनी दयनीय स्थिति में पहुंची है। भारतीय रिजर्व बैंक की संचित निधि को खाली कर दिया गया है। आर्थिक विशेषज्ञ बार-बार देश की वर्तमान स्थिति पर चिंता जता रहे हैं लेकिन मोदी सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। राणा ने कहा कि देश का बेरोजगार वर्ग पूरी तरह हताश हो चुका है। कमरतोड़ महंगाई की चक्की में आम आदमी पूरी तरह पिस रहा है। गरीब आदमी के लिए दो जून की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है। सरकार लोन मेले  तो लगा रही है लेकिन देश की जनता इस बात से आशंकित है कि उनका बैंकों में जमा पैसा सुरक्षित भी है या नहीं। उन्होंने कहा आर्थिक मंदी का ऐसा दौर देश ने पहले कभी नहीं देखा था। सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है और सिर्फ लच्छेदार भाषणों से देश की जनता को बहलाया जा रहा है या फिर उन्माद पैदा किया जा रहा है। राजेंद्र राणा ने कहा कि भाषणों से देश आगे बढ़ने वाला नहीं है बल्कि मोदी सरकार को जनता से किए गए वायदे निभाने के लिए मैदान में आना होगा।

उन्होंने कहा कि विदेशों में खोखली वाही वाही होने से देश की जनता के सपने पूरे होने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा देश की जनता ने मोदी सरकार को अभूतपूर्व जन समर्थन दिया था लेकिन जनता की उम्मीदें अब दम तोड़ने लगी हैं। राणा ने कहा कि देश में पहली बार ऐसा हो रहा है कि सरकार से वायदों का हिसाब मांगने वालों को या तो देश का दुश्मन करार दिया जा रहा है या फिर उनकी राष्ट्रभक्ति पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा सरकार की वादाखिलाफी के कारण देश के युवा वर्ग का इस तरह हताशा में डूबना भविष्य के लिए सुखद संकेत नहीं है।

Ekta