पानी की समस्या न होती तो अस्तित्व में नहीं आता राजा का तालाब
punjabkesari.in Thursday, Apr 29, 2021 - 11:32 AM (IST)
कांगड़ा (योगश चौधरी) : आज हम आपको पहले नूरपर रियासत के अधीन वाले क्षेत्र के बारे में रू-ब-रू करवाते है जिसको आज राजा का तालाब से जाना जाता है। तीन तहसीलों नूरपुर, ज्वाली व फतेहपुर का केंद्र बिंदु राजा का तालाब एक महत्वपूर्ण स्थल है। इस कस्बे के नाम राजा का तालाब यहां के ऐतिहासिक तालाब से जाना जाता है। बुजुर्ग लोगों के अनुसार क्षेत्र में कभी पानी की भारी किल्लत हुआ करती थी। लोगों को पीने के पानी के लिए कोई भी साधन नहीं था। हर जगह पानी का प्रयोग करने के लिए कोसों दूर पानी लाना पड़ता था। इसी समस्या को लेकर 4 भाइयों राजू, नकोदर सिंह, केहर सिंह व आघार सिंह के बीच मंत्रणा हुई। सभी भाइयों ने मिलकर निर्णय लिया कि इस समस्या के समाधान हेतु तालाबों का निर्माण किया जाए। चारों भाइयों ने मिलकर 3 से 6 किलोमीटर की दूरी पर पर अलग-अलग तालाबों का निर्माण किया। इन सभी भाइयों के नाम को चरितार्थ करते यह चारों तालाब आज भी उसी तरह अस्तित्व में है। चारों तालाबों में राजू द्वारा बनाया गया तालाब आज राजा का तालाब के नाम से जाना जाता है। राजू द्वारा बनाए गए तालाब का निर्माण 84 कनाल भूमि में हुआ था जोकि चारों तालाबों में सबसे बड़ा था। मगर आज यह तालाब कम होकर लगभग मात्र 56 कनाल ही रह चुका है। आज भी क्षेत्र के लोग इन तालाब की नमी की वजह से पानी पी रहे है। इस तालाब की वजह से क्षेत्र का जलस्तर टिका हुआ है।
बच्चों में मिट्टी खाने की आदत छुटाती है यहां की मिट्टी
तालाब के एक छोर पर बना बाबा राजा राम जी का मन्दिर भी है लोगों की आस्था प्रतीक। ऐसी मान्यता है कि छोटे बच्चों को मिट्टी खाने की आदत पड़ जाए तो बाबा के दरबार की मिट्टी(प्रसाद) ग्रहण करने से यह आदत छूट जाती है।
बस ठहराव या रेन शैल्टर नहीं
स्थानीय लोगों राम नाथ शर्मा, अनिल कौल, राजेश, रिंकू आदि का कहना है कि आस पास की पंचायतों की लगभग 50 हजार आबादी के साथ जुड़ा 3 तरफ मुख्य सड़कों से जुड़ा राजा का तालाब यहां से सैंकड़ो लोग रोजाना आवाजाही करते है। यहां पर न ही तो बस ठहराव है और न ही तो रेन शेल्टर। लोगों की मांग है कि यहां पर यह दोनों चीजें होनी अति अवश्यक है।
बड़ा शैक्षणिक संस्थान एक भी नहीं
सुरजीत, जसदेव, सौरभ आदि का कहना है कि 50 हजार आबादी वाले इस क्षेत्र में अभी तक सरकार का कोई भी बड़ा शैक्षणिक संस्थान नहीं है। जिसके चलते यहां के बच्चों को दूर-दूर का सफर करके उच्च शिक्षा हासिल की जाती है। लोगों का कहना है कि यहां पर बड़े शैक्षणिक संस्थान सरकार को खोलने चाहिए ताकि यहां के बच्चे यही उच्च शिक्षा हासिल कर सकें।
सी.एच.सी. का टैंडर होने पर लटका काम
लोगों की माने तो राजा का तालाब में एक पी.एच.सी. है तथा यह किराए के भवन में पिछले 4 सालों के चल रही है। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ने राजा का तालाब को पी.एच.सी. के भवन को बनाने के लिए शिलान्यास किया है। लोगों की मानें तो स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही पी.एच.सी. के भवन का टैंडर होगा जिसके बाद भवन का काम शुरू हो जाएगा।
क्या कहते हैं ग्राम पंचायत नेरना के प्रधान
नरेना पंचायत प्रधान सुशील कुमार का कहना है कि पूर्व सैनिकों द्वारा यहां केंद्रीय विद्यालय के लिए काफी जद्दोजहद की थी। ऐसे में केंद्रीय स्कूल का खुलना क्षेत्र को चार चांद लगा सकता है। पंचायत जगह देने के लिए तैयार है। वहीं क्षेत्र में आई.टी.आई. जैसा संस्थान भी यहां खुल जाता है तो बच्चों के भविष्य के लिए अच्छा होगा। साथ ही राजा का तालाब की एक अलग से पंचायत भी होनी चाहिए।