रंगों से सराबोर हुई रघुनाथ की नगरी

Monday, Mar 09, 2020 - 10:15 AM (IST)

कुल्लू (दिलीप): भगवान रघुनाथ की नगरी कुल्लू घाटी में होली पर खूब गुलाल उड़ा। जिला में ढोल-नगाड़ों, डफली व झांझ की धुन में होली के उत्सव पर जगह-जगह लोगों ने टोलियां बनाकर एक-दूसरे को गुलाल लगाया और होली की बधाई दी। कुल्लू में होली से 8 दिन पहले से ही बैरागी समुदाय के लोग ब्रज भाषा में होली के पारंपरिक गीत गाकर भगवान रघुनाथ, शिव शंकर, विष्णु, ब्रह्मा, महेश, सीता राम व राधा-कृष्ण की भक्ति का गुणगान होली के गीतों के द्वारा करते हैं। कुल्लू जिला में होली का इतिहास रघुनाथ के कुल्लू आगमन के साथ ही शुरू हुआ था। रघुनाथ के साथ महंत समुदाय के लोग भी अयोध्या से कुल्लू आए थे और उस समय से ही होली का प्रचलन कुल्लू में शुरू हो गया था।

कुल्लू जिला में होली के उत्सव पर बैरागी समुदाय के लोगों द्वारा वृंदावन, अयोध्या, मथुरा और अवध की तर्ज पर होली का गायन भी किया गया। होली के दौरान कुल्लू के अधिष्ठाता देवता रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल उड़ाया। गौरतलब है कि भगवान रघुनाथ के हिसाब से कुल्लू में होली मनाई जाती है और कुल्लू घाटी में फाल्गुन माह में अमावस्या की रात को रघुनाथ मंदिर में होलिका दहन के साथ यहां की होली का त्यौहार संपन्न होता है। बैरागी समुदाय के लोग दिनभर होली खेलने के साथ शाम को नहाकर फिर से फाग उत्सव के लिए सुल्तानपुर पहुंचते हैं, जहां पर होलिका दहन के लिए भगवान रघुनाथ मंदिर से बाहर निकलते हैं, जिसके बाद पूजा-अर्चना के साथ होलिका दहन का कार्यक्रम संपन्न होता है।

kirti