HPCA मामले में अफसरों को नामजद करने पर उठे सवाल

Tuesday, Nov 13, 2018 - 10:38 PM (IST)

शिमला: एच.पी.सी.ए. मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अफसरों को नामजद करने की प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और सांसद अनुराग ठाकुर से जुड़े इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए हैं। इसके तहत एच.पी.सी.ए. को भूमि आबंटन मामले से जुड़े 6 अधिकारियों में से सिर्फ 2 के नाम ही एफ.आई.आर. में नामजद किए गए। पूर्व सरकार के समय ऐसे 2 अधिकारियों को महत्वपूर्ण पद पर तैनात किया गया। कोर्ट के आदेशों में कहा गया है कि एच.पी.सी.ए. को भूमि देने की प्रक्रिया में 6 अधिकारी शामिल रहे, इनमें से 4 आई.ए.एस. थे। इनकी स्वीकृति के बाद ही भूमि का आबंटन किया गया।

विभाग की स्वीकृति के बाद एच.पी.सी.ए. को हुआ भूमि का आबंटन
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि भूमि आबंटन के मामले को युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के निदेशक एवं विशेष सचिव देख रहे थे। इस विभाग की स्वीकृति के बाद ही विवादित भूमि का आबंटन एच.पी.सी.ए. को किया गया। मामले में आई.ए.एस. आर.एस. गुप्ता व दीपक सानन को एफ.आई.आर. में नामजद करने व 2 अन्य अधिकारियों को नामजद करने व प्रक्रिया से जुड़े बाकी के अधिकारियों को नजरअंदाज करने पर भी सवाल उठे हैं। इस प्रक्रिया से जुड़े 2 अधिकारियों को पूर्व सरकार ने महत्वपूर्ण पद दिए। कोर्ट के अनुसार इससे यह लगता है कि ऐसे अधिकारियों ने कोई आपराधिक कृत्य नहीं किया।

भूमि को लीज पर देने के बावजूद सरकार ही रहेगी मालिक
भूमि को लीज पर देने के बावजूद सरकार ही इसकी मालिक रहेगी, साथ ही यह भी कहा गया है कि जहां तक एच.पी.सी.ए. को कंपनी बनाने का मामला है तो इसमें बी.सी.सी.आई. के आदेशों के मुताबिक ही कार्य किया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि मामले में अपीलकर्ता व सरकार के मध्य सिविल विवाद तो हो सकता है लेकिन आपराधिक नहीं। भाजपा नेता भी कोर्ट के इस निर्णय के बाद पूर्व कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। आरोप है कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक था।

Vijay