संतानदात्री मां सिमस मंदिर के संचालन पर उठे सवाल, SDM के द्वार पहुंचा मामला

Friday, Apr 28, 2017 - 09:56 PM (IST)

जोगिंद्रनगर: हजारों लोगों की आस्था का प्रतीक व संतानदात्री मां शारदा सिमस का मामला इन दिनों चर्चा में आ गया है। जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में संचालन कर रही शारदा माता मंदिर कमेटी पर इसी नाम से पंजीकृत एक अन्य कमेटी ने कई तरह के आरोप लगाकर मामला जोगिंद्रनगर एस.डी.एम. के द्वार तक पहुंचा कर मंदिर संचालन की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हंै। 



पूरी तरह से निराधार हैं आरोप
उधर, पंजीकृत शारदा माता मंदिर कमेटी ने आरोपों को पूरी तरह निराधार बताते हुए एस.डी.एम. जोगिंद्रनगर को ज्ञापन सौंप मंदिर के संचालन की बागडोर उनके हाथों में दिए जाने की मांग की है। कमेटी ने मांग की है कि अगर किसी कारणवश उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो मंदिर का तुरंत सरकारीकरण किया जाए। कमेटी के अनुसार कुछ लोग गलत नीयत से कमेटी पर निराधार आरोप लगाकर किसी भी तरीके से माता की सम्पत्ति पर कब्जा करने की मंशा पाले हुए हैं। इस षड्यंत्र में पंचायत प्रधान भी शामिल हो गए हैं व मंदिर की सम्पत्ति को हड़पने की साजिशें रची जा रही हैं। 

2 वंशजों के हाथ में मंदिर का संचालन
कमेटी प्रधान विनोद कुमार ने बताया कि मंदिर संचालन का कार्य पिछले कई दशकों से भट्ट समुदाय के 2 वंशजों के हाथ में रहा है। यह दोनों ही वंश पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा के साथ मां की सेवा में जुटे हुए हैं।  नियमों, कानूनों व पूरी पारदर्शिता के साथ कमेटी द्वारा मंदिर में आने वाले चढ़ावे से जहां मंदिर के विकास को कोई कमी नहीं आने दी है, वहीं चढ़ावे से ही कई परिवारों की रोजी रोटी भी चलती है लेकिन कुछ लोगों की बुरी नजर हमेशा उन पर लगी रहती है तथा वह किसी भी प्रकार से मंदिर पर अपना वर्चस्व कायम करने की कोशिश में लगे रहते हैं। 

पारदर्शिता के साथ होता है संचालन
मंदिर का संचालन देख रही कमेटी का दावा है कि मंदिर का पूरा कामकाज पारदर्शिता के साथ होता है। इसके लिए कमेटी ने बैंक में खाता खुलवा रखा है व चढ़ावे में आई धन राशि इस खाते में जमा की जाती है जो मंदिर के विकास कार्यों पर खर्च होती है। 

चढ़ावे का आधा रखते हैं पुजारी
कमेटी का दावा कि मंदिर में माता की पिंडी व अन्य स्थानों पर चढ़ावा चढ़ाने पर पूरी तरह मनाही है। मंदिर में केवल दानपात्रों में ही चढ़ावा स्वीकार किया जाता है। महीने बाद कमेटी की उपस्थिति में दानपात्र खुलता है। कुल चढ़ावे का  50 प्रतिशत बैंक में जबकि बाकी का दो वंशजों के करीब 40 पुजारी परिवारों में बांटा जाता है। सालाना करीब 20 लाख रुपए नकद चढ़ावा आता है।