अपराधियों संबंधी डेटाबेस का अभाव डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए चुनौती : फॉरेंसिक अधिकारी

Thursday, May 25, 2023 - 12:52 PM (IST)

शिमला, 25 मई (भाषा) हिमाचल प्रदेश में फॉरेंसिक सेवा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने यहां कहा कि नमूने उचित तरीके से एकत्र न करना एवं उन्हें संरक्षित न रखना तथा तय मानकों एवं अपराधियों से जुड़े डेटाबेस का अभाव आपराधिक मामलों में संपूर्ण डीएनए प्रोफाइलिंग करने में प्रमुख चुनौतियां हैं।

हिमाचल प्रदेश के फॉरेंसिक विज्ञान विभाग के सहायक निदेशक विवेक सहजपाल ने बताया कि डीएनए प्रौद्योगिकी को जैविक साक्ष्यों से व्यक्तियों की पहचान के लिए सबसे अच्छा मानक माना जाता है।
किसी व्यक्ति की फॉरेंसिक पहचान करने के काम को डीएनए प्रोफाइलिंग कहा जाता है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति अथवा उसके ऊतक के नमूने से एक विशेष डीएनए पैटर्न (जिसे प्रोफाइल कहा जाता है) लिया जाता है।

सहजपाल ने ‘ह्यूमैन आइडेंटिफिकेशन सॉल्यूशंस’ पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के दो दिवसीय ऑनलाइन सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
उन्होंने बुधवार को आपराधिक मामलों में डीएनए प्रोफाइलिंग पर भारत के दृष्टिकोण के बारे में डीएनए नमूनों, सांख्यिकीय विश्लेषण और देश में डेटाबेस प्रक्रिया के मुद्दों पर बात रखी।

सहजपाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि डीएनए प्रोफाइलिंग से अच्छे नतीजे हासिल करने के लिए उचित तरीके से सबूतों की पहचान, उनका संग्रह और संरक्षण तथा नतीजों की सांख्यिकीय व्याख्या महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा कि आनुवंशिकी में काफी विविधता होने के बावजूद भारतीय आबादी के लिए तय मानकों की कमी एक प्रमुख बाधा है। उन्होंने कहा कि इसलिए भारतीय आबादी के लिए अच्छी तरह से परिभाषित तय मानक वक्त की जरूरत हैं।

उन्होंने कहा कि आपराधिक डीएनए डेटाबेस का अभाव एक और कमी है जिसे दूर करने के लिए फौरन कदम उठाने की आवश्यकता है। हिमाचल प्रदेश अज्ञात शवों का डीएनए डेटाबेस तैयार करने वाला देश का पहला राज्य है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

PTI News Agency