हिमाचल प्रदेश : परवाणू में केबल कार में फंसे सभी 11 पर्यटकों को सुरक्षित बचाया गया

Monday, Jun 20, 2022 - 10:38 PM (IST)

शिमला, 20 जून (भाषा) हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के परवाणू टिम्बर ट्रेल में एक केबल कार ट्रॉली तकनीकी खराबी आने के कारण रास्ते में ही अटक गई जिससे पांच महिलाओं समेत 11 पर्यटक कुछ घंटे उसमें फंसे रहे। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि छह घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद सभी को बचा लिया गया।

सोलन के पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र शर्मा के मुताबिक, पर्यटकों को बचाने के लिए एक और केबल कार ट्रॉली को रवाना किया गया था।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) का एक दल भी मौके पर था। घटना की सूचना सुबह करीब 11 बजे मिली थी।

परवाणू के उप-अधीक्षक प्रणव चौहान ने “पीटीआई-भाषा” को बताया, 11 पर्यटकों समेत केबल कार तकरीबन 200-250 फीट की ऊंचाई पर अटक गयी थी।

उन्होंने कहा, इसलिए पर्यटकों को बचाने में कोई ज्यादा मुश्किल नहीं आई । एक एक को रस्सी बांधकर ज़मीन पर उतारा गया। लोगों को बाहर निकालने के लिए एक बचाव केबल कार रवाना की गई थी।''''

उन्होंने बताया कि 1.8 किलोमीटर लंबे रोपवे की अधिकतम ऊंचाई एक हज़ार मीटर है।

टिम्बर ट्रेल के नाम से मशहूर परवाणू रोपवे चंडीगढ़ शहर से 35 किलोमीटर दूर चंडीगढ़-शिमला रोड पर स्थित है। उन्होंने बताया कि केबल कार को एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ तक पहुंचने में कुल आठ मिनट लगते हैं।

चौहान ने बताया कि केबल कार ऑपरेटर के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गयी है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 287 और 336 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

उन्होंने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो अन्य अधिनियमों की और धाराओं को भी प्राथमिकी में शामिल किया जा सकता है।
बचाए गए पर्यटकों में से एक ने पत्रकारों को बताया कि सभी 11 पर्यटक दिल्ली के रहने वाले हैं।

घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने बचाये गये पर्यटकों से बातचीत की।
बाद में, पत्रकारों से बात करते हुए, ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उनसे दो बार फोन पर बात की और एनडीआरएफ के एक दल को मौके पर भेजा, जबकि वायु सेना के एक हेलीकॉप्टर को भी तैयार रखा गया था।
एक प्रश्न के उत्तर में, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्धारित करने के लिए घटना की जांच की जाएगी कि टिम्बर ट्रेल चलाने वाली निजी कंपनी की ओर से कोई लापरवाही तो नहीं हुई।

इससे पहले, राज्य आपदा प्रबंधन निदेशक सुदेश मोख्ता ने कहा था कि केबल कार में कुछ तकनीकी खराबी आने के कारण आठ पर्यटक बीच रास्ते में फंस गए थे।

पंजाब की एक पर्यटक अनुपम भगरिया ने कहा कि टिम्बर ट्रेल का उपयोग करने वाले पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं में जवाबदेही तय की जानी चाहिए, अन्यथा यह रास्ते बंद कर दिए जाने चाहिए।
इस बीच, ज़ाहिर तौर पर फंसे हुए पर्यटकों में से एक द्वारा ली गई एक वीडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर साझा किया गया, जिसमें एक वृद्ध पर्यटक को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह मधुमेह और गुर्दे का रोगी है और उसे रस्सी की सहायता से नहीं बचाया जा सकता है। वीडियो में कुछ और लोग भी कह रहे थे कि उन्हें इस तरह से नहीं निकाला जा सकेगा।
गौरतलब है कि तकरीबन बीस साल पहले टिम्बर ट्रेल में ऐसी ही एक घटना हुई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। अक्टूबर 1992 में इसी प्रकार फंसे 11 लोगों में से 10 लोगों को थल सेना और वायु सेना के एक अभियान में बचा लिया गया था, जबकि केबल कार ऑपरेटर की मौत हो गई थी।
लगभग दो महीने पहले 11 अप्रैल को, झारखंड के देवघर जिले के त्रिकुट पहाड़ियों पर लगभग 40 घंटे तक 15 पर्यटक एक रोपवे पर बीच हवा में फंसे हुए थे। उनमें से 12 को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने बचाया, जबकि इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई थी।



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PTI News Agency