ED की बड़ी कार्रवाई, बैंक से 321 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में बिल्डर की संपत्ति अटैच

Thursday, Sep 26, 2019 - 09:51 PM (IST)

सोलन (ब्यूरो): प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक से करीब 321 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में एक बिल्डर की संपत्ति को अटैच किया है। अटैच की गई संपत्ति की कीमत करीब 34 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इस मामले में आरोपित बिल्डर द्वारा कंडाघाट में हाऊसिंग कालोनी का निर्माण किया जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने इस संपत्ति को अटैच किया है। बताया जा रहा है कि यह बैंक चंडीगढ़ में है। ईडी ने इस मामले में कुछ और संपत्तियों को भी अटैच किया है। यह सभी संपत्तियां बाहरी राज्य में हैं। यह बिल्डर भी बाहरी राज्य का ही बताया जा रहा है। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी एलओयू से इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया है।

आयात फर्म के नाम पर फर्जी तरीके से जारी कर दिए 15 एलओयू

सूत्रों का कहना है कि इस मामले में आयात फर्म के नाम पर फर्जी तरीके से 15 एलओयू जारी कर दिए। इन एलओयू के आधार पर बैंक ने हांगकांग बेस्ड तीन कंपनियों के खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया। इससे बैंक पर करीब 321 करोड़ रुपए देनदारी खड़ी कर दी। यह तीनों कंपनियां आरोपी की ही थीं। इस मामले में ईडी ने बैंक के सहायक प्रबन्धक को भी आरोपी बनाया है और उसकी संपत्ति को भी अटैच किया है। हैरानी की बात यह है कि आरोपी सहायक प्रबन्धक ने अधिकृत अधिकारी की मंजूरी के बिना ही यह एलओयूू जारी कर दिया था।

क्या हाेता है एलओयू

लैटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी एलओयू एक तरह की गारंटी होती है, जिसे एक बैंक दूसरे बैंक को जारी करता है जिसके आधार पर दूसरे बैंक अकाऊंट होल्डर को पैसा मुहैया करा देते हैं। फाइनैंस की भाषा में कहें तो एलओयू सिक्योर मैसेजिंग प्लेटफार्म स्विफ्ट के जरिए एक मैसेज के रूप में भेजा जाता है। स्विफ्ट के जरिए पैसे ट्रांसफर करने के संदेश की वैल्यू बैंक द्वारा दूसरे पक्ष को जारी एक डिमांड ड्राफ्ट के बराबर होती है। कुल मिलाकर यह समझें कि यदि अकाऊंट होल्डर डिफाल्ट कर जाता है तो एलओयू मुहैया कराने वाले वाले बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि  वह सम्बन्धित बैंक को बकाया पेमैंट करे।

Vijay