Watch Video: स्वास्थ्य मंत्री के 'घर' का हाल, गर्भवती महिलाओं का ऐसे हो रहा इलाज

Thursday, Dec 14, 2017 - 03:00 PM (IST)

मंडी (नीरज): मंडी के जोनल अस्पताल के हालात और खराब हो गए हैं। कहने को तो स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर मंडी से ही हैं, लेकिन वह खुद अपने क्षेत्र का विकास ठीक से नहीं करवा पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि यहां 50 बिस्तरों की सुविधा है, जबकि 150 के करीब मरीज भर्ती हैं। अब आप इससे ही अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल होगा। इन दिनों गायनी वार्ड पूरी तरह से ओवरलोड चल रहा है। यहां रोजाना गर्भवती महिलाओं के आने का सिलसिला जारी है और इन महिलाओं को जमीन पर लेटकर प्रसव पीड़ा झेलनी पड़ रही है।


ओवरलोडिंग का कारण कुल्लू से गर्भवती महिलाएं हैं
ओवरलोडिंग का कारण कुल्लू जिला से यहां भेजी जा रही गर्भवती महिलाएं हैं। कुल्लू जिला में स्त्री रोग विशेषज्ञ न होने के कारण वहां से महिलाओं को प्रसव के लिए जोनल अस्पताल में भेजा जा रहा है। मंडी जिला में भी सिर्फ इस अस्पताल में ही स्त्री रोग विशेषज्ञ मौजूद हैं जबकि 10 लाख से अधिक की आबादी वाले इस जिला के दूसरे स्वास्थ्य संस्थानों में स्त्री रोग विशेषज्ञों के पद खाली चल रहे हैं। मंडी के गायनी वार्ड में 50 बिस्तरों की सुविधा है जबकि मौजूदा समय में यहां पर मरीजों की संख्या 150 तक पहुंच गई है। एक बिस्तर पर दो-दो मरीजों को अडजेस्ट करने के बाद भी जब कोई चारा नहीं बचा तो फिर गर्भवती महिलाओं या अन्य मरीजों को जमीन पर लेटाना पड़ रहा है। 


महिलाओं ने राज्य सरकार से कुल्लू में स्त्री रोग विशेषज्ञों को तैनात की उठाई मांग
गायनी वार्ड की गैलरी पूरी तरह से गर्भवती महिलाओं से भर गई है और यहां पैदल चलने की जगह तक नहीं बची है। सुबह यहां सही ढंग से साफ-सफाई भी नहीं हो पा रही है, क्योंकि मरीजों को हटाना मुश्किल हो रहा है। कुल्लू जिला से आई महिलाओं ने बताया कि यहां उन्हें परेशानियां बेशक झेलनी पड़ रही हैं लेकिन डॉक्टरों का इलाज जरूर मिल रहा है। महिलाओं ने राज्य सरकार से कुल्लू जिला में स्त्री रोग विशेषज्ञों को तैनात करने की मांग उठाई है ताकि उन्हें प्रसव करवाने के लिए इतनी दूर आकर परेशानियां न झेलनी पड़े। उल्लेखनीय है कि जोनल अस्पताल में डॉक्टरों की तो कोई कमी नहीं है। लेकिन जिला के बाकी संस्थानों में और पड़ोसी जिला कुल्लू में कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ न होने के कारण यहां व्यवस्था चरमरा गई है। ऐसे में सवाल सरकार की कार्यप्रणाली पर उठना लाज्मी है कि आखिर गर्भवती महिलाओं को घर द्वार पर प्रसव की सुविधा नहीं दी जा रही। क्यों इन्हें डॉक्टरों की कमी के कारण इतनी दूर तक आकर परेशानियां झेलने के लिए मजबूर किया जा रहा है।