जुबां पर आया प्रवीण शर्मा के दिल का दर्द, इंदु के इस्तीफे से मेरा नाम जोड़ा गया

Wednesday, Oct 02, 2019 - 10:50 AM (IST)

पालमपुर (मुनीष दीक्षित): पूर्व विधायक प्रवीण शर्मा ने एक बार फिर अपने दिल की पीड़ा बाहर निकाली है। उन्होंने कहा कि वह भाजपा के कर्मशील व कर्मठ कार्यकर्ता हैं और रहेंगे। मेरी घर वापसी के बाद इंदु गोस्वामी द्वारा अपने पद से इस्तीफा देने की बात को जोड़ा जा रहा है लेकिन हकीकत यह है कि मेरी वापसी पर इंदु गोस्वामी को कोई एतराज नहीं था। मैंने विधानसभा चुनाव में भितरघात नहीं किया था बल्कि सीधे चुनाव लड़ा था। जब मेरी घर वापसी हुई थी, उससे पहले भी इंदू गोस्वमी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि प्रवीण शर्मा ने चुनाव कार्यकर्ताओं के दबाव में चुनाव लड़ा है, उसका मलाल नहीं है। प्रवीण शर्मा ने कहा कि मुझे जो जानकारी है उसके अनुसार इंदु गोस्वामी ने माना था कि उसकी हार के जिम्मेदार वह नहीं थे, बल्कि वो लोग थे, जो पार्टी के पदाधिकारी थे मगर उनके मतदान केंद्रों में ही इंदु गोस्वामी को अत्यधिक मतों से हार मिली थी।   

पालमपुर में पंजाब केसरी से बिशेष बातचीत में इंदु गोस्वामी के सवाल के जवाब में प्रवीण शर्मा ने कहा कि पार्टी के विधानसभा चुनाव के दौरान जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो 200 के करीब भाजपा के पदाधिकारियों ने त्यागपत्र दे दिया, मुझे चुनाव के लिए बाध्य किया गया। मैं नामाकंन पत्र भरने के बाद नामांकन पत्र वापस लेने के मूड में था लेकिन इनमें कुछ पदाधिकारियों का दबाव था कि अगर नाम वापस लिया तो यह अच्छी बात नहीं होगी। मैंने कहा भी था कि उस समय पार्टी का दबाव था कर्मशील, कर्मठ कार्यकर्ता हूं। उन पदाधिकारियों ने अंतिम समय तक साथ देने का वायदा किया था परंतु वो समय भी आया जब छाती दिखाने वालों ने मुझे पीठ दिखा दी थी। जिन लोगों ने मुझे चुनाव लडऩे के लिए बाध्य किया था उन्होंने ऐन मौके पर मेरा साथ छोड़ दिया। तब अगर मैं वापस हटता तो मेरे व्यक्तित्व पर ही सवाल खड़े कर दिए जाते। मेरे ऊपर कई बिकने तक के लांछन लग सकते थे। 

प्रवीण ने कहा कि मैं मानता हूं कि मेरे 30 वर्ष के राजनीतिक जीवन की यह एक बड़ी दुर्घटना थी मगर मैं स्पष्ट कहता हूंं कि जो कुछ उस समय किया था, सीधे किया था। मैंने कहीं कोई भितरघात नहीं किया था लेकिन सबको पता है कि भितरघात हुआ है और किसने किया था। प्रवीण शर्मा ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मेरी घर वापसी हुई। इसके लिए मैं अपने राजनीतिक गुरु शांता कुमार, सी.एम. जयराम ठाकुर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती व संगठन मंत्री पवन राणा का आभारी हूं।

नहीं बुलाया गया था, नहीं गया

कुछ सरकारी कार्यक्रमों और जनमंच में नहीं आने पर उन्होंने कहा कि जहां मुझे बुलाया जाता है, वहां जाता हूं। मगर सितम्बर माह में कंडबाड़ी में हुए जनमंच में मुझे नहीं बुलाया गया था। ऐसे में मैं नहीं गया। इसका गिला मैंने उस समय आए विस उपाध्यक्ष हंसराज के समक्ष भी रख दिया था। जहां तक मंडल अध्यक्ष के साथ कोई गिला शिकवे की बात है तो व्यक्तिगत रूप से मुझे उनसे कोई गिला शिकवा हो सकता है मगर वो पार्टी के पालमपुर के अध्यक्ष हैं, हमारे लिए सम्मानीय हैं। ऐसे में उनसे कोई शिकवा नहीं। 

जख्म अब भी गहरा

प्रवीण शर्मा कहते हैं कि आज मेरी घर वापसी हुई है। चुनावों के बाद विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक जो समय काटा है उसके जख्म गहरे हैं। बहुत बड़ी दर्द भरी दास्तां है। यह जख्म इतना गहरा है कि उसे तो शायद प्रभु ही मरहम लगा सकते हैं लेकिन आज मैं जहां भी जाता हूं, जिन लोगों ने उस समय कसमें खाई थीं, त्यागपत्र दिए थे, वो मुझे नजरें नहीं मिलाते। मुझे अब किसी से कोई गिला नहीं है। पार्टी ने जो काम सौंपा है, उसके लिए दिन-रात एक कर रहा हूं।

मैं सरकार के खिलाफ नहीं

पालमपुर नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी के तबादले या फिर एक महिला भागो देवी के मामले में आवाज उठाने को लेकर प्रवीण शर्मा ने स्पष्ट किया कि यह आवाज सरकार के खिलाफ  नहीं है बल्कि उन मुद्दों को उठाने की है, जहां लगता है कि यह सरकार की नीतियों व योजनाओं के खिलाफ हो रहा है। अचानक एक ईमानदार अधिकारी का तबादला हो जाए तो आवाज सरकार तक पहुंचाना जरूरी है। जनमंच में शिकायत लेकर पहुंची एक महिला को जब न्याय न मिले और उसकी मौत हो जाए तो उस बात को भी सरकार तक पहुंचाना जरूरी है। जनमंच सरकार ने इसलिए शुरू किया है कि लोगों की समस्याएं सुनी जाएं। ऐसे में इन बातों को उठाना कोई सरकार की खिलाफत नहीं। मैं इंसाफ सामाजिक संस्था का कार्य भी देख रहा हूं और लोगों से बेइंसाफी न हो, यह भी देखना हमारा कत्र्तव्य है।

Ekta