बिजली बोर्ड को दिया 2,890 करोड़ का कर्ज

Sunday, Mar 12, 2017 - 11:03 AM (IST)

शिमला: राज्य बिजली बोर्ड की आर्थिक सेहत में अब सुधार आएगा। प्रदेश की वीरभद्र सरकार केंद्र की मोदी सरकार की उदय योजना में शामिल हो गई है। यानी यह योजना यहां भी लागू हो गई है। इसके लिए सरकार ने हाल ही में सहमति दे दी थी। योजना के तहत सूबे की सरकार ने बोर्ड को 2,890 करोड़ का कर्ज जारी कर दिया है।  इस कर्जे को भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से लिया गया है। इसे सरकार को 5 साल के भीतर वापस लौटाना होगा। इस राहत से ब्याज के भार में सालाना 90 करोड़ की कमी आ सकेगी। 


दिसम्बर में हुआ था करार
हिमाचल सरकार ने स्कीम को लेकर दिसम्बर महीने में एम.ओ.यू. साइन किया था। इसे साइन करने वाला हिमाचल 18वां राज्य बन गया है। इससे बोर्ड को अनुदान के तौर पर भी लाभ हो सकता है। इससे संस्थान की माली हालत में सुधार होने के आसार हैं।


सरकार ही चुकाएगी कर्जा
सी.एम. वीरभद्र सिंह ने माना कि राज्य सरकार उदय योजना में शामिल हो गई है। दूसरे राज्यों की तर्ज पर हिमाचल में भी उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरैंस (उदय) योजना चलेगी। हाल ही में सूबे की सरकार ने इसे स्वीकृति देने पर सहमति दे दी थी। इसके लागू होने पर राज्य में बिजली के दाम पहले से कम हो सकते हैं। इस योजना के शुरू होने से घाटे में चल रहे राज्य बिजली बोर्ड को बड़ी राहत मिली है। इससे बोर्ड का 75 प्रतिशत कर्ज राज्य सरकार ने टेकओवर कर लिया है। इससे करीब 2,890 करोड़ का कर्जा बिजली बोर्ड को नहीं देना होगा। इसके चुकाने की जिम्मेदारी सरकार की होगी। अभी तक बोर्ड पर तकरीबन 4,600 करोड़ का कर्जा है। कर्जे को चुकाने के लिए ब्याज देना होता है। यह ब्याज बिजली के टैरिफ में जुड़ता है। यानी कर्जा बढऩे से बिजली के दामों पर भी विपरीत असर पड़ता है। सरकार कर्जे को टेकओवर करेगी तो उस सूरत में हिमाचल में बिजली के दाम भी नहीं बढ़ेंगे। यह काफी समय तक स्थिर हो जाएंगे। 


क्या है उदय योजना
उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरैंस योजना (उदय) केंद्र सरकार की तरफ से देश के उन बिजली बोर्डों के लिए शुरू की गई है जो घाटे के दौर से गुजर रहे हैं। इसके लिए राज्य सरकार, बिजली बोर्ड और केंद्र सरकार को समझौता करना होता है। इस समझौते के अनुसार बिजली बोर्ड की 75 फीसदी देनदारियों को राज्य सरकार अपने ऊपर लेगी जबकि शेष 25 फीसदी पर उसे सस्ती दरों पर ऋण मिल पाएंगे। योजना के अनुसार बिजली बोर्ड के बांड को राज्य सरकार खुद बेचेगी। इसके अनुसार जो राशि आएगी, उससे बोर्ड का ऋण चुकता किया जाएगा।