सोच व नजरिया बदलकर गरीबी व बेरोजगारी पर हो मंथन: राणा

Friday, Jun 11, 2021 - 03:11 PM (IST)

हमीरपुर : कोरोना महामारी के दौरान देश भर में बढ़ी गरीबी, बेरोजगारी व तंगहाली पर चिंता जताते हुए प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने मानवतावादी सोच के साथ आगे बढ़ने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि देश वर्तमान में बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। ऐसे समय में हमें भविष्य को देखते हुए रणनीति बनानी होगी तथा अपना, जाति, धर्म व मजहब के मुद्दों को छोड़ना ही देश के हित में है। जारी प्रेस विज्ञप्ति में राजेंद्र राणा ने कहा कि कोरोनाकाल में हजारों बच्चे अनाथ हुए हैं, जबकि इससे पहले अन्य रोगों व विभिन्न कारणों से अभिभावकों को खोने के कारण अनाथ बच्चों की संख्या भी लाखों-करोड़ों में है। वहीं लाखों लोगों का रोजगार छिन जाने से उन्हें रोजी-रोटी के लिए तरस रहे हैं। ऐसी भयानक स्थिति में इन परिवारों व उनके बच्चों के हित में नीति बनाई जानी जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि भूखमरी का शिकार बनकर बच्चे परिवार को आर्थिक संबल बनाने के लिए बाल श्रम के गर्त में गुम हो जाएं। उन्होंने चिंता जताई कि बालश्रम में पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 10 बच्चों में से एक बच्चा हमारे देश का है। वर्ष 2011 के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1 करोड़ से ज्यादा बच्चे बालश्रम से जुड़े हैं जोकि शर्मनाक है।

उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वे में खुलासा हुआ है कि राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों व व्यवसायिक कोर्सों में कन्याओं की कम  संख्या भी कम हुई है तो उच्च शिक्षा के लिए बच्चों की संख्या में इजाफा तो हुआ है, लेकिन उनके अनुपात में शिक्षकों की संख्या बहुत कम हो गई है। देश के भावी भविष्य को देखते हुए इस पर भी आत्ममंथन की जरूरत है। विधायक राणा ने कहा कि इस समय कोरोना महामारी सबसे बड़ी आपदा है, जिसे जड़ से खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर नीति निर्धारण करने की जरूरत है, लेकिन इस मामले में भी वाहवाही लूटी जा रही है, जबकि कोई नीति स्पष्ट नहीं हो रही है। अगर महामारी से सही नियोजित नीति के तहत न निपटा गया तो गरीबी, बेरोजगारी आदि मसले हल कैसे होंगे। इसके लिए एम्स व कोरोना संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल द्वारा बड़े पैमाने पर अंधाधुंध व अपूर्ण टीकाकरण पर दिए गए सुझावों पर केंद्र सरकार को अमल करना चाहिए, ताकि वैक्सीन की कमी भी न हो और टीकाकरण भी बेहद सरल तरीके से हो सके। उन्होंने कहा कि इन सभी वैश्विक समस्याओं सहित बेरोजगारी व आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार को अहम व भेदभाव छोड़कर सोच बदलनी होगी।
 

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prashant sharma