विधानसभा चुनाव : नैगेटिव रिपोर्ट की जद्द में आए लोगों पर फूटेगा हार का ठीकरा

Friday, Dec 15, 2017 - 12:39 AM (IST)

कुल्लू: विधानसभा चुनावों के दौरान कइयों को भितरघात, पार्टी विरोधी अन्य कार्यों में संलिप्तता पर और बगावत करने पर पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया है। कई अभी ऐसे हैं, जिन पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। छंटनी के बाद काली भेड़ों की श्रेणी में रखे गए कई पार्टी नेताओं, पदाधिकारियों व वरिष्ठ कार्यकत्र्ताओं पर चुनाव नतीजे आने के बाद गाज गिर सकती है। यदि पार्टी प्रत्याशी की जीत हुई तो इन लोगों पर लटकी निष्कासन की तलवार हट भी सकती है। प्रत्याशी की हार हुई तो विभीषणों पर निष्कासन की गाज गिरना तय होगा। ऐसे कई लोगों की लिस्ट तैयार है और अब सिर्फ 18 दिसम्बर का इंतजार हो रहा है। चुनाव नतीजों के आने के साथ ही कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल रहेगा।

बड़े नेता के खास माने जाने वाले नहीं हुए निष्कासित
प्रदेश में मतदान की प्रक्रिया निपटने के बाद ही कई प्रत्याशियों ने पार्टी विरोधी कार्यों में संलिप्त रहे लोगों की शिकायतें मंडलों और ब्लाकों के पास की थी। आनी विधानसभा क्षेत्र में तो कांग्रेस में पार्टी विरोधी कार्य करते हुए कइयों के वीडियो जिला कार्यकारिणी के पास पहुंचे थे। आनी में आधा दर्जन लोगों को कांग्रेस ने 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित किया है। हमीरपुर, ऊना, कांगड़ा व मंडी सहित अन्य जिलों में भी कइयों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। अभी कई ऐसे लोग भी हैं, जो किसी न किसी बड़े नेता के खास माने जाते हैं और उन्होंने उन्हीं नेताओं के इशारे पर पार्टी विरोधी कार्य किया, ऐसे में मंडल और ब्लाक ने तो उन्हें विभीषण घोषित करते हुए सूची में नाम दर्ज कर लिया लेकिन जिन बड़े नेताओं का उन पर हाथ है, उनके डर से उन काली भेड़ों को निष्कासित नहीं किया जा सका है।

चुनाव में हार हुई तो पार्टी विरोधी कार्य करने वाले होंगे बाहर
अब संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों और मंडलों व ब्लाकों को 18 दिसम्बर का इंतजार है। चुनाव में हार हुई तो पार्टी विरोधी कार्यों में संलिप्त रहे लोगों को तुरंत पार्टी से निकालने के लिए दबाव बनाया जा सकता है। यदि प्रत्याशी की चुनाव में जीत हुई तो पार्टी विरोधी कार्य में संलिप्त रहे लोग निष्कासन से बच भी सकते हैं। कुल मिलाकर हार का ठीकरा उन-उन लोगों पर फूटेगा, जो नैगेटिव रिपोर्ट की जद्द में आए हैं। हार का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

भाजपा में टल सकता है कइयों का निष्कासन 
लाहौल-स्पीति व द्रंग सहित कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लडऩे वाले लोगों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव जीतने पर उनका समर्थन वीरभद्र सिंह को रहेगा। दूसरी ओर भाजपा में धूमल और नड्डा खेमे के वर्चस्व के चलते भाजपा में भी कइयों का निष्कासन टल सकता है तो कई प्रत्याशी की बुरी तरह हार के चक्कर में नप भी सकते हैं। 18 दिसम्बर को प्रत्याशियों की किस्मत का पिटारा खुलेगा और जनादेश सभी को स्वीकार करना होगा। आगामी कार्रवाई भी जनादेश पर निर्भर करेगी।