गरीबी, लाचारी और सरकारी उपेक्षा की इंतहा, पशु और इंसान एक ही कमरे में रहने को मजबूर

Wednesday, Sep 04, 2019 - 08:11 PM (IST)

ऊना (विशाल): गरीबी, लाचारी और सरकारी उपेक्षा की इंतहा ऐसी कि एक ही कमरे में परिवार के 4 सदस्य सोते हैं और उसी कमरे में पालतू बकरियों को बांधना पड़ रहा है। पशुओं के साथ परिवार को न केवल कमरा सांझा करना पड़ रहा है बल्कि इसी कमरे के एक कोने में रखे चूल्हे पर परिवार के लिए खाना पकाया जाता है और इसी कमरे में बैठकर परिवार के सदस्य खाना खाते हैं तथा पशुओं को भी वहीं चारा डाला जाता है। बीपीएल सूची में शुमार होने के बावजूद परिवार को मकान बनाने के लिए कोई आर्थिक मदद मुहैया नहीं हो पाई है। ऐसे हालात हैं ऊना विधानसभा क्षेत्र के तहत ग्राम पंचायत नंगड़ा के वार्ड नंबर-3 निवासी नरेश कुमार के परिवार के। परिवार के लोग कभी पंचायत तो कभी सरकारी दफ्तरों में मदद पाने के लिए जाते हैं लेकिन हर बार निराशा लेकर वापस घर लौट आते हैं।

बाप दिहाड़ीदार तो बेटे बेरोजगार

नरेश कुमार दिहाड़ीदार है जो गांव में दिहाड़ी करने के साथ-साथ मनरेगा में भी मजदूरी करता है। बुजुर्ग हो चुके नरेश कुमार की सेहत ठीक नहीं रहती है लेकिन परिवार के पालन-पोषण के लिए वह काफी मशक्कत करते हैं। नरेश कुमार के 2 बेटे हैं, जिनमें से एक 9वीं पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ चुका है जबकि दूसरा बेटा डीजल मैकेनिक की आईटीआई करने के बाद रोजगार न मिलने के बाद अब ग्रेजुएशन कर रहा है। इस बेटे ने अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए मजदूरी भी की है। नरेश की पत्नी गृहिणी है जोकि घर पर रहकर पओं की देखभाल करती है।

बकरियां बांधने से कमरे में बदबू

नरेश कुमार के पास मौजूदा समय में लगभग 6 बकरियां और जर्जर हालत में 2 कमरे हैं। इनमें से एक कमरे की हालत बेहद ज्यादा खस्ता होने के चलते उसमें कोई नहीं रहता जबकि दूसरे कमरे परिवार के सदस्य गुजर-बसर कर रहे हैं। घर के बाहर पशुओं के लिए अधिक जगह न होने के चलते नरेश के परिवार को कमरे के अंदर ही बकरियां बांधनी पड़ती हैं, जिसके चलते कमरा काफी बदबूदार हो चुका है। इसी कमरे में खाना पकाना और खाना खाने को परिवार मजबूर हो चुका है।

दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें, गिर चुका है लैंटर का प्लस्तर

नरेश कुमार के दोनों कमरों की हालत खस्ता हो चुकी है। दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं और खिड़कियां व दरवाजे भी बदतर हालत में हैं। कमरों के लैंटर का प्लस्तर गिर चुका है, जिस कारण बरसात का पानी रिसकर कमरों में पहुंच जाता है। इस परिवार के पास पक्के शौचालय की सुविधा तक नहीं है जबकि रसोई गैस की सुविधा भी नहीं है। पंचायत प्रधान ने अपने तौर पर रसोई गैस इस परिवार को मुहैया करवाते हुए सामाजिक सरोकार का कार्य किया है। वहीं उपप्रधान ने भी इस परिवार की काफी मदद की है लेकिन इनकी मदद अभी तक परिवार के लिए काफी सिद्ध नहीं हो पाई है।

डेढ़ साल बीत जाने पर भी नहीं मिली सहायता

पंचायत प्रधान रणविजय सिंह और उपप्रधान सर्वजीत ने बताया कि इस परिवार को बीपीएल सूची में डाला गया है और मकान के लिए आर्थिक मदद की फाइल विभाग के पास भेजी गई है लेकिन डेढ़ साल बीत जाने पर भी एक रुपया मंजूर नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि उक्त परिवार असल में जरूरतमंद है और प्राथमिकता के आधार पर इस परिवार को आर्थिक मदद मुहैया होनी चाहिए।

क्या बोले डीसी ऊना

डीसी ऊना संदीप कुमार ने बताया कि परिवार के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी और जिस योजना के तहत भी इस परिवार की मदद हो सकेगी वह की जाएगी।

Vijay